मैं दिल्ली से उत्तर प्रदेश के अपने एक गांव में वोट डालने गई थी। वहां अब भी बहुत ज्यादा विकास नहीं हुआ है। मगर एक अच्छी बात जरूर दिखी कि घरों से महिलाएं वोट डालने के लिए अकेली निकल रही थीं। पहले ज्यादातर वे परिवार की भीड़ का हिस्सा बनकर पोलिंग बूथों तक पहुंचती थीं, लेकिन इस बार वे अपने बच्चे का हाथ थामकर मतदान की कतारों में खड़ी थीं।...
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75000 करोड़ काला धन चुनावों में खर्च
नयी दिल्ली : लोकसभा चुनाव के छठे चरण के करीब पहुंचने के बीच एक नयी अध्ययन रिपोर्ट जारी की गयी है. इसमें कहा गया है कि पिछले पांच सालों में देश में हुए विभिन्न चुनावों में डेढ़ लाख करोड़ रुपये से अधिक धन खर्च किया गया. इसमें से आधे से अधिक धन (75,000 करोड़ रुपये से ज्यादा) ‘बेहिसाब स्नेतों’ से आया था. सेंटर फॉर मीडिया (सीएमएस) द्वारा कराया गया यह...
More »मध्य वर्ग का बहुत कुछ दांव पर- लीला फर्नांडिज
भारत का मध्यवर्ग लोकसभा चुनाव के केंद्र में है। नरेंद्र मोदी और भाजपा ने ‘नव मध्यवर्ग’ के तौर पर एक नई राजनीतिक पहचान देकर सुनियोजित ढंग से शहरी मध्यवर्ग को लुभाने की कोशिश की है। इस नई पहचान ने मध्यवर्ग की आकांक्षाओं को नए पंख दिए हैं। कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार से मध्यवर्ग को मिली मायूसी के कारण भाजपा की यह रणनीति काम करती दिख रही है। असमान आर्थिक विकास, बढ़ती...
More »चुनाव के समय ही उनकी याद आती है- अनुराग दीक्षित
लोकसभा चुनाव में राजनीतिक दलों को अचानक देश के मुसलमानों की याद आ गई है। हर दल खुद को मुसलमानों का सबसे बड़ा हितैषी साबित करने में जुटा है। कांग्रेस नए-पुराने 15 सूत्रीय कार्यक्रमों समेत अपनी तमाम योजनाएं गिना रही है। वैसे यूपीए शासनकाल में अल्पसंख्यक मंत्रालय का गठन और अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं के लिए छात्रवृत्ति जैसे अहम काम हुए भी हैं। हां, यह बात अलग है कि प्रधानमंत्री भी अल्पसंख्यक कल्याण...
More »वचन और प्रवचन के बीच- शंकर अय्यर
लोकसभा चुनाव के विजेता का पता तो 16 मई को ही चलेगा। हालांकि चुनावी सर्वेक्षणों ने पराजित होने वाले की घोषणा पहले ही कर दी है। सर्वेक्षण यह भी बताते हैं कि महंगाई, विकास और भ्रष्टाचार ही वे प्रमुख तीन मुद्दे हैं, जिन पर मतदाता वोट करेंगे। इसमें हैरत नहीं होना चाहिए, क्योंकि भारत पहले ही दहाई के पार जा रही खाद्य मुद्रास्फीति से त्रस्त है। जिनके पास नौकरी है, उन्हें उसे...
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