नई दिल्ली। खनन कंपनियों को मुनाफे का एक बड़ा हिस्सा समाज कल्याण पर खर्च करना होगा। सरकार इसके लिए नियम बनाने की तैयारी में है। नए नियम के तहत खनन कंपनियों को अपने कुल लाभ का 26 फीसदी हिस्सा स्थानीय और जनजातीय कल्याण पर खर्च करना अनिवार्य होगा। सरकार के इस विचार का टाटा समूह ने समर्थन किया है। केंद्रीय खान मंत्री बीके. हांडिक के मुताबिक नए खान विधेयक में इस तरह के प्रावधान किए जाएंगे।...
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राशन के अनाज की आवाजाही पर निगरानी
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। गरीबों तक अनाज सुरक्षित और पूरा पहुंचे इसके लिए सरकार पुख्ता इंतजाम करने जा रही है। खास तौर पर खाद्य सुरक्षा कानून के तहत बंटने वाले गरीबों के सस्ते अनाज की रास्ते में चोरी रोकने के लिए सरकार ने ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम [जीपीएस] का इस्तेमाल करने की योजना बनाई है। इसके तहत पूरे देश में अनाज की आवाजाही पर नजर रखी जा सकेगी। सरकार इसका प्रावधान खाद्य सुरक्षा कानून में करने पर...
More »पानी, जहर और जीडीपी-- देविंदर शर्मा
इस चिलचिलाती गरमी में पानी का मुद्दा गरमाया हुआ है. जैसे-जैसे तापमान चढ़ रहा है और प्रमुख जलस्त्रोत सूखते जा रहे हैं, दिन-ब-दिन पीने के पानी को लेकर खून बहने लगा है. अपनी रोजमर्रा की जरूरत भी पूरी न होने से गुस्साएं प्रदर्शनकारी सड़कों पर निकल रहे हैं. आने वाले महीनों में, पानी की अनुपलब्धता सुर्खियों में रहने वाली है. जल संकट पिछले 15 सालों से खतरे की घंटी बज रही है,...
More »किसान मरे नहीं तो क्या करे--- देविंदर शर्मा
भारत में किसानों की आत्महत्या को लेकर छिड़ी बहस के बीच अमरीका में किसानों को अनुदान दिए जाने के बारे में एक दिलचस्प रिपोर्ट आई. 1997 से 2008 के बीच भारत में करीब दो लाख किसानों ने बढ़ते कर्ज के कारण होने वाले अपमान से बचने के लिए अपनी जान देने का आत्मघाती कदम उठाया. इन किसानों को सरकार से किसी प्रकार की सीधी सहायता नहीं मिली थी. अमरीका ने 1995...
More »रोटी को तरसते लोग, गोदामों में सड़ते अनाज
नई दिल्ली [उमा श्रीराम]। करीब 70 वर्ष पहले चर्चित कवि सुब्रमण्यम भारती ने यह कहकर हलचल मचा दी थी कि यदि दुनिया में एक भी आदमी भूखा है तो इस विश्व को ही नष्ट कर दो। भारती जी ने तभी भारत की आजादी को देख लिया था और उन्होंने आधुनिक भारत, युवा वर्ग व महिलाओं को समर्पित करते हुए कई कविताएं रच डाली थी। पर दुर्भाग्य से वे यह कल्पना भी नहीं कर सके...
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