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नक्सल प्रभावित राज्यों में जनता को अधिकार सौंपने और धारणा बदलने की नयी पहल

नयी दिल्ली, पांच जनवरी (एजेंसी) नक्सल प्रभावित नौ राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ केन्रदीय गृहमंत्री पी चिंदबरम अगले महीने बैठक कर ताजा हालात की समीक्षा करेंगे। माओवादियों से निपटने की मौजूदा नीति में दो नयी बातें जोडने के बारे में इस बैठक में चर्चा हो सकती है जो नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में जनता को अधिकार विशेषकर वन अधिकार सौंपना और मीडिया के जरिए उनकी धारणा बदलना है । सरकारी सूत्रों ने बताया कि...

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विकास का पैमाना क्या है- अनिल चमड़िया

जनसत्ता 3 जनवरी, 2012: विदेशी निवेश भूमंडलीकरण की नीति का हिस्सा है। इसीलिए खुदरा व्यापार को विदेशी पूंजी के हाथों में देने के केंद्र सरकार के फैसले का स्थगन परमाणु समझौते की तरह ही है। अमेरिका के साथ भारत के परमाणु समझौते की पूरी प्रक्रिया पर नजर दौड़ाएं तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संसद में कह दिया था कि सरकार के पास यही एकमात्र एजेंडा नहीं है। यूपीए-एक सरकार का...

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एनआरएचएम घोटाला: उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री सीबीआई पूछताछ के लिए हुए पेश

नयी दिल्ली, 27 दिसंबर (एजेंसी) केंद्रीय जांच ब्यूरो :सीबीआई: ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा से राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन :एनआरएचएम: में धन की हेराफेरी और तीन शीर्ष स्वास्थ्य अधिकारियों की हत्या के मामले में आज यहां पूछताछ की। सूत्रों ने बताया कि कभी उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती के करीबी रहे कुशवाहा आज सुबह सीबीआई मुख्यालय पहुंचे जहां उनसे परिवार कल्याण मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल तथा...

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चीनी उत्पादन में अव्वल होगा बिहार

पटना : चीनी उत्पादन में बिहार फिर शीर्ष पर होगा. राज्य सरकार की पहल व किसानों के हौसले से यह उम्मीद जगी है. 1950-60 के दशक में देश में कुल खपत का 60 फीसदी चीनी का उत्पादन यहीं होता था. आज हम अपनी जरूरत को भी पूरा नहीं कर पाते. राज्य में सालाना आठ लाख टन चीनी की खपत है, जबकि उत्पादन चार लाख टन ही है. लेकिन, अब स्थिति बदलने लगी...

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किसानों की दुर्दशा के लिए कौन जिम्मेदार- राम कौंडिन्या

भारतीय किसान की तस्वीर आज भी कमोबेश कक्षा आठ में लिखे जाने वाले उस निबंध से बाहर नहीं निकल पाई है, जहां हम पहली लाइन में तो यह लिखते थे कि किसान देश का पेट पालते हैं, लेकिन आखिरी लाइन यही रहती थी कि किसान किसानी से इतना कमा नहीं पाते कि वे अपना पेट पाल सकें। भारतीय किसान की यह तस्वीर बदलती क्यों नहीं है? जीवन के हर हर क्षेत्रों में...

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