हम आज भी मैकाले को खलनायक के रूप में याद करते नहीं थकते हैं। अंगेजों के राज में एक खास प्रकार की शिक्षा-व्यवस्था रची गई थी, जो तब अंग्रेजी राज की जरूरतों के मुताबिक थी। आजादी पाने के पहले ही गांधीजी उस शिक्षा-व्यवस्था से न केवल व्यथित थे, बल्कि उनमें एक आक्रोश था और इसका उन्होेंने हल भी खोजा कि शिक्षा ऐसी हो जो देश की सामाजिक स्थिति और यहां...
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आंकड़ों का सरकार उठाये फायदा-- संदीप बामजई
करीब दो साल पहले भारत सरकार ने टैक्स स्लैब बदले थे. और एक नया स्लैब निकाला था, जिसमें प्रावधान था कि जिसकी एक करोड़ रुपये से ज्यादा की आमदनी होगी, उसे तीस प्रतिशत टैक्स के साथ 15 प्रतिशत सरचार्ज (उसके पहले 12 प्रतिशत था) देना पड़ेगा. इस प्रावधान के अनुसार, अगर किसी की कमाई एक करोड़ चार लाख रुपये सालाना हुई, तो उसे 30 प्रतिशत टैक्स के साथ 15...
More »चिकित्सा आयोग की चुनौतियां-- डा. ए के अरुण
नरेंद्र मोदी जी के केंद्र की सत्ता में आते ही देश की कई संस्थाओं में बदलाव की पहल शुरू हुई. सबसे पहले योजना आयोग को बदलकर 'नीति आयोग' कर दिया गया. अर्थशास्त्री अरविंद पनगढ़िया को नीति आयोग का पहला उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया. फिर पनगढ़िया के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन कर यह प्रक्रिया शुरू की गयी कि भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) और साथ-साथ आयुष की चिकित्सा...
More »हमारे लोकतंत्र का शीत सत्र-- मोहन गुरुस्वामी
संसद का अत्यंत विलंबित शीत सत्र शुरू हो चुका है. इसमें मची चीख-पुकार के सिवाय, मेरी समझ से यह समाप्तप्राय है. ऐसे बहुत-से मुद्दे हैं, जिन पर चर्चा होनी ही चाहिए थी, मगर वह नहीं होगी जैसे, राफेल, प्रस्तावित वित्तीय संकल्प और जमा बीमा (एफआरडीआई) बिल, जीएसटी का क्रियान्वयन, नोटबंदी की सामाजिक एवं आर्थिक कीमतें, ग्रामीण संकट, आदिवासी अशांति, नेपाल की घटनाएं, मालदीव के साथ चीन का मुक्त व्यापार करार....
More »ग्रीष्मकालीन धान फसल का नहीं होगा बीमा, दलहन-तिलहन को वरीयता
कोरबा। रबी फसल के तहत ग्रीष्म धान को प्रधानमंत्री बीमा योजना में इस वर्ष शामिल नहीं किया गया गया है। किसानों को बुआई में इसका लाभ नहीं मिल सकेगा। रबी पुसल के लिए 39 हजार हेक्टेयर क्षेत्राच्छादन का लक्ष्य तय किया गया है। सिंचित व असिंचित क्षेत्र में गेहूं के अलावा दलहन-तिलहन के साथ आलू बुआई को वरीयता दी जा रही है। उक्त पुसलों को लिए प्रधानमंत्री बीमा योजना के...
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