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हर सवाल स्त्री से ही क्यों- क्षमा शर्मा

बीरभूम में एक बीस साल की लड़की के साथ जिस तरह का व्यवहार पंचायत के मुखिया के आदेश पर किया गया, वह कितना अशोभनीय और अकल्पनीय है। स्त्रीवादी सोच अक्सर कहती है कि उच्च पदों पर बैठी औरतें, औरतों की तकदीर बदल सकती हैं। बंगाल में महिला मुख्यमंत्री ही हैं। लेकिन बंगाल में बलात्कार की ऐसी कई घटनाएं हुई हैं, जिस पर वहां की मुख्यमंत्री ने चुप्पी साध ली। दरअसल महिला-पुरुष...

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पंचायत में तय हो बच्चों के विकास की योजनाएं

जनजातीय भाषाओं के जानकार गिरधारी राम गौंझू झारखंड की संस्कृति-परिवेश की बारीक जानकारियां रखते हैं. वे बच्चों, विशेषकर वंचित समूह के बच्चों को स्थानीय भाषा में शिक्षा देने के पैरोकार रहे हैं. इसका यह मतलब कतई नहीं है कि वे हिंदी या अंगरेजी के विरोधी है. उनका जोर त्रिस्तरीय भाषा सूत्र पर है. एक शिक्षाविद के रूप में वंचित समूह के बच्चों को विकास की मुख्यधारा में लाने की कोशिश में...

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पंचायत में तय हो बच्चों के विकास की योजनाएं

जनजातीय भाषाओं के जानकार गिरधारी राम गौंझू झारखंड की संस्कृति-परिवेश की बारीक जानकारियां रखते हैं. वे बच्चों, विशेषकर वंचित समूह के बच्चों को स्थानीय भाषा में शिक्षा देने के पैरोकार रहे हैं. इसका यह मतलब कतई नहीं है कि वे हिंदी या अंगरेजी के विरोधी है. उनका जोर त्रिस्तरीय भाषा सूत्र पर है. एक शिक्षाविद के रूप में वंचित समूह के बच्चों को विकास की मुख्यधारा में लाने की कोशिश में...

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मरती भाषाओं के दौर में- शेखर पाठक

जनसत्ता 13 सितंबर, 2013 : कभी रघुवीर सहाय ने कहा था, ‘न सही कविता मेरे हाथ की छटपटाहट सही’। यही बात भाषा के बारे में कही जा सकती है। सिर्फ मनुष्य अपनी छटपटाहट को भाषा यानी शब्द दे सका है। यह कहानी सत्तर हजार साल पहले शुरू होती है, हालांकि लिपियों का संसार करीब पांच हजार साल पहले बनना शुरू हुआ। आज भाषा मानव अस्तित्व की अनिवार्यता और पहचान हो...

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सिर्फ पढ़ा देना शिक्षक का काम नहीं- प्रो. यशपाल

बात जब पहले और अब की शिक्षा और शिक्षक में तुलना की आती है, तो उसे अच्छे-बुरे में नहीं आंका जा सकता. आज के शिक्षक भी अच्छे हैं, अपना काम कर रहे हैं. हालांकि सभी को अच्छा या खराब कहना सही नहीं होगा. पहले के शिक्षक भी कुछ बहुत अच्छे होते थे, तो कुछ नहीं. यह जरूर था कि पहले के शिक्षकों के पास विद्यार्थियों को पीटने का अधिकार हुआ करता...

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