-डाउन टू अर्थ, फसल कटाई के बाद किसान अपने अनाज को अलग-अलग तरीकों से मंडी या बाजार में बेच देते हैं, किसानों को अनाज का वह मूल्य नहीं मिल पाता है जिसके वे हकदार होते हैं। जबकि विभिन्न प्रसंस्करण, भंडारण, परिवहन, थोक बिक्री, खुदरा बिक्री, खाद्य सेवा और अन्य कार्य जो कृषि की पैदावार को खाद्य पदार्थों में बदलते हैं इसके बाद यह उपभोक्ताओं तक पहुंचता है, जो इसके लिए कहीं...
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बढ़ती मंहगाई के बीच लगातार घाटा सहता किसान
-रूरल वॉइस, अगर आप एक ऐसे व्यवसाय से जुडे हैं, जिसमे लागत खर्च लगातार बढ़ता रहता है, लेकिन आपके उत्पाद की कीमतों मे या तो बहुत ही मामूली उछाल देखने को मिलता है या फिर अधिकतर वह कीमतें घट जाती हैं तो क्या आप उस व्यवसाय में रहना चाहेंगे? ज्यादातर लोगों का जवाब होगा 'नहीं' । लेकिन अगर कहा जाए कि आपके पास कोई विकल्प नहीं है और भले ही आपको...
More »मंडी, मार्केट और मोदी
-कारवां, अगर हम नरेन्द्र मोदी सरकार और नवउदारवादी टिप्पणीकारों पर यकीन करें तो सरकार के विरोध में प्रदर्शन करने वाले एक लाख से अधिक किसान, जिनमें से अधिकांश ने अपने खेतों पर काम करके, फसल पैदा कर और स्थानीय मंडियों में उसे बेचकर जिंदगी गुजारी है, खेती किसानी के बारे में कुछ नहीं जानते और उन्हें शरारती तत्वों द्वारा गुमराह किया जा रहा है. वे यह नहीं महसूस कर रहे हैं...
More »दूसरी लहर ग्रामीण जीवन पर कहर बरपा रही है, क्या यह ग्रामीण आजीविका को भी प्रभावित करेगी?
इस साल मार्च के बाद से हर रोज कोविड-19 के नए मामलों और मौतों में वृद्धि होने के बाद मीडिया ने रिपोर्ट (कृपया यहां और यहां क्लिक करें) किया कि प्रवासी कामगार अपने प्रवास स्थलों से मूल स्थानों (यानी मूल स्थानों) पर वापस लौट रहे हैं. शहरों और बड़े औद्योगिक कस्बों में जहां समाज के हाशिए के वर्गों से अनौपचारिक और कम कुशल श्रमिक मौसमी रूप से प्रवास करते हैं,...
More »किसान आंदोलन के बीच वित्त मंत्रालय ने रखा था कृषि संबंधी योजनाओं के बजट में कटौती का प्रस्ताव
-द वायर, केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ जब देश के विभिन्न हिस्सों में किसान प्रदर्शन कर रहे थे, इसी बीच वित्त मंत्रालय ने कृषि से जुड़ी कई महत्वपूर्ण योजनाओं जैसे कि खाद्य सुरक्षा मिशन, सिंचाई, जैविक खेती, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना इत्यादि के बजट में कटौती करने को कहा था. मंत्रालय ने दावा किया था कि इनमें से अधिकतर योजनाओं से ‘कोई लाभ’ नहीं हो रहा है....
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