SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 141

छत्तीसगढ़ में एसपीओ और सुप्रीम कोर्ट - कनक तिवारी

जुलाई 2011 को सुप्रीम कोर्ट के माननीय न्यायमूर्ति सेवानिवृत्त होते बी. सुदर्शन रेड्डी और सुरेन्दर सिंह निज्जर की पीठ ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए छत्तीसगढ़ शासन के उन आदेशों को निरस्त कर दिया है, जिनके अनुसार बस्तर में नक्सलियों से निपटने के लिए विशेष पुलिस कर्मी (एसपीओ) को भरती कर मजबूर, गरीब और लगभग अशिक्षित आदिवासी युवकों के हाथों में कथित आत्मसुरक्षा के नाम पर बंदूकें थमा दी गई थीं....

More »

अकाल, भुखमरी इस देश में कई समुदायों की जीवनसाथी है- विनायक सेन से आशीष कुमार अंशु की बातचीत

विनायक सेन को लेकर मीडिया और समाज में दो तरह की छवि है। एक विनायक सेन, जिन्हें हमेशा देश के दुश्मन के तौर पर पेश किया जाता है, दूसरे विनायक सेन वे जो आदिवासियों के शुभचिंतक हैं और गरीब समाज के मसीहा हैं। दोनों विचार अतिवादी हैं। इस तरह एक आम भारतीय असमंजस की स्थिति में है कि वह इन दोनों में से किसे सच माने और किसे झूठ! यदि हम मीडिया की नजर...

More »

भू-अधिग्रहण बिल पर एनएसी में मतभेद - सुरेंद्र प्रसाद सिंह

नई दिल्ली ग्रामीण विकास मंत्रालय में भूमि अधिग्रहण विधेयक को अंतिम रूप देने का सिलसिला तेज हो गया है। ग्रामीण विकास मंत्री विलास राव देशमुख ने किसान, उद्योग संगठनों और गैर सरकारी संगठनों संग विचार-विमर्श चालू कर दिया है, लेकिन सोनिया की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) की सिफारिशों ने सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। दरअसल एनएसी की उपसमिति के सदस्य भूमि अधिग्रहण विधेयक में संशोधन...

More »

आंदोलन के बाद उठे सवाल : महेश रंगराजन

भ्रष्टाचार के विरुद्ध अन्ना हजारे के आंदोलन ने जनता के मन में जगह बना ली और सरकार को लोकपाल विधेयक के संबंध में चुस्ती-फुर्ती दिखानी पड़ी। सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार और उसे नियंत्रित करने के श्रेष्ठ तरीकों के बारे में सक्रिय बहस जारी है। अन्ना के अहिंसक आंदोलन ने युवाओं और आमतौर पर गैरराजनीतिक रुझान रखने वाले मध्यवर्ग को भी प्रभावित किया। यह भी उल्लेखनीय है कि नए विधेयक की प्रक्रियाएं...

More »

राजस्थान में आदिवासी अधिकारों की अनदेखी

सामाजिक अधिकारिता के कानूनों के होने भर से किसी समुदाय के सशक्तीकरण की गारंटी होती तो राजस्थान का आदिवासी समुदाय ना तो शिक्षा के बुनियादी अधिकार से वंचित रहता और ना ही अपनी जीविका के जरुरी साधन जमीन से। मिसाल के लिए इन तथ्यों पर गौर करें।राजस्थान की कुल आबादी में आदिवासी समुदाय की तादाद १२.४४ फीसदी है और साक्षरता-दर है ४४.७ फीसदी जबकि सूबे की औसत साक्षरता दर इससे कहीं ज्यादा ऊंची(६१.०३ फीसदी) है। क्या शिक्षा...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close