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दादी से सीखी कला से खड़ा किया अपना रोजगार

बचपन में सीखी गयी कला कभी रोजगार का जरिया बन जायेगी, यह सोचा भी नहीं था. जयनगर, मधुबनी की नाजदा खातून बचपन में दादी से सिक्की बुनाई सीखा करती थीं. उनकी ख्वाहिश थी कि उनके हुनर को लोग दूर-दूर तक जानें और लोग भी इस पारंपरिक कला से जुड़ें. लेकिन तब ऐसा नहीं हो सका. ग्रामीण परिवेश की नाजदा की शादी कम उम्र में हो गयी और यह अरमान मन...

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सूखा और जल संसाधन प्रबंध-- बिभाष

महाराष्ट्र फिर सूखे के चपेट में है. बुंदेलखंड पहले से ही समाचारों में बना हुआ है. खेती और किसानों को लेकर रोज बुरी खबरें आ रही हैं. महाराष्ट्र में पानी की कमी का लगातार तीसरा साल है. बुंदेलखंड में भी सूखे का चौथा साल चल रहा है. खेती बुरी तरह से संकट में है. दरअसल, पूरा मामला जल और भूमि के कुप्रबंध का है. देश में हर साल कहीं...

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कुम्हारबांधी: यहां 2016 में भी दिखती है 18वीं सदी जैसी गरीबी

सारठ बाजार. गरीबों के उत्थान की बातें अक्सर होती हैं, लेकिन इसके प्रति गंभीरता नहीं दिखायी जाती है. यही कारण है कि सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब परिवारों का जीवन सिर्फ दो वक्त की रोटी कमाने के प्रयास में ही बीत जा रहा है. प्रखंड के कुम्हराबांधी गांव के हरिजन टोले का ग्रामीणों का जीवन सिर्फ दो वक्त की रोटी तक सिमट कर रह गयी है और वह रोटी भी...

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नया बजट और बुजुर्ग आबादी- चंदन श्रीवास्तव

अल्बर्ट आइंस्टीन को याद करते हुए ‘टाइम' मैगजीन में एक चिट्ठी छपी. इसमें लियो मैटर्सडॉफ नाम के सज्जन ने लिखा कि ‘प्रोफेसर आइंस्टीन के अमेरिका आने से लेकर उनकी मृत्यु के साल तक उनके आयकर रिटर्न का ब्यौरा मैं ही तैयार करता था. एक बार प्रिंस्टन स्थित उनके आवास पर मैं आयकर रिटर्न की तफ्सील तैयार कर रहा था. उनकी पत्नी ने आग्रह किया कि दोपहर का खाना मैं उन...

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सीमा के प्रहरी बनना चाहते हैं गुमला के असुर-- दुर्जय पासवान

आमतौर पर जंगल में रहनेवाले आिदम जनजाति के लोग शहरों में जाना पसंद नहीं करते. इसलिए सदियों तक शिक्षा से दूर रहे. शहरी समाज से खुद को अलग-थलग रखा. लेकिन, धीरे-धीरे ये लोग अब मुख्यधारा में जुड़ रहे हैं. गुमला के िबशुनपुर प्रखंड से 45 किमी दूर पोलपोट पाट गांव में बसनेवाले असुर जाति के युवा देश की सीमा के सुरक्षा प्रहरी बनना चाहते हैं और इसके लिए जी-तोड़ मेहनत...

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