-डाउन टू अर्थ, एशिया और प्रशांत क्षेत्र दुनिया की 60 फीसदी आबादी का बसेरा है लेकिन इसमें महज 36 फीसदी आबादी के पास ही पानी के संसाधन है। इस क्षेत्र में ताजे पानी की आपूर्ति और अन्य कार्यों के लिए भू-जल पर निर्भरता बढ़ती जा रही है। वहीं वर्ष 2050 तक भू-जल की निकासी 30 फीसदी तक बढ़ जाएगी। खासतौर से कृषि क्षेत्र में सिंचाई के लिए लगातार जल की मांग बढ़ती जा...
More »SEARCH RESULT
अच्छी हो या बुरी लेकिन बिटक्वाइन, ब्लॉकचेन और डिजिटाइजेशन के साथ एक अलग तरह की दुनिया उभर रही है
-द प्रिंट, कल्पना कीजिए कि खनन (पता नहीं किस चीज के) और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी (इसे भी समझना होगा) से जुड़ी आपकी मुद्रा ‘क्रिप्टो’ यानी गुप्त हो गई. अगर यह सब आपको नहीं समझ में आ रहा है या आप यह भी नहीं समझ पा रहे हैं कि टेस्ला अरबों बिटक्वाइन क्यों खरीद रही है या यह नहीं समझ पा रहे हैं कि चीन यह क्यों सोच रहा है कि उसका ई-यूवान...
More »होलिका दहन की रात अपने गन्ने की फ़सल क्यों जलाना चाहते हैं रीगा के किसान?
-न्यूजक्लिक, बिहार के सीतामढ़ी जिले के रीगा निवासी किसान रामश्रेष्ठ सिंह कुशवाहा इस रविवार को एक बैठक में अपनी आपबीती सुनाते हुए कह रहे थे कि “मैंने एक बीघा जमीन पर इस बार गन्ने की खेती की है। गन्ना तो बिका नहीं। पांच कट्ठे जमीन पर लगी गन्ने की फसल को मैंने जला दिया है, बाकी बचे 15 कट्ठे जमीन में लगे गन्ने को मैं होलिका दहन की रात जला दूंगा।...
More »लोकतंत्र के अंतरराष्ट्रीयकरण का मिथक
-न्यूजक्लिक, जब कभी भी लोकतंत्र का अपने घर में घेराव होता है, लोकतंत्र के हिमायती, उससे प्रेम करने वाले लोग नैतिक समर्थन पाने के लिए अपनी परिधि के पार देखने लगते हैं। अभी-अभी विश्व सूचकांक में स्वतंत्रता की एक रिपोर्ट जारी हुई है, और इसलिए कोई हैरत नहीं कि इसने भारत में लोकतंत्र को चाहने वाले सभी लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। यह विश्व सूचकांक अमेरिका की 80...
More »आर्थिक उद्देश्य संविधान के विजन से अलग नहीं हो सकते : तलोजा जेल से आनंद तेलतुंबड़े
-कारवां, सार्वजनिक सेक्टर के उद्यमों का निजीकरण करने की मोदी सरकार की योजना पर जारी बहस से कुछ हद तक पुरानी बहसों की याद आती है. सरकार के समर्थन में निजीकरण की पैरवी करने वाले लोग दलील दे रहे हैं कि निजीकरण हमेशा ही सार्वजनिक सेक्टर के लिए कारगर रहा है. वे नहीं जानते लेकिन इस दलील का तार्किक विस्तार करें तो यह बेतुका लेकिन जायज सवाल भी किया जा सकता है...
More »