भरपूर मानसून का आना शहर और गांव हर कहीं खुशी का माहौल रचता है। पर इधर जब से नगर, महानगर में और कुछ चुनिंदा शहर स्मार्ट सिटी में बदलने शुरू हुए हैं, बरसात की खुली झड़ी हर शहर, हर कस्बे पर एक आफत बनकर बरसती है। सड़कों पर उफनते नालों-सीवरों का भलभलाकर उलट आना, भारीभरकम जाम, घरों के भीतर घुसे पानी से जान-माल की तबाही, यह हमने गए सालों में...
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इरोम: कौन सुनेगा 'आयरन लेडी' की दिल की बात
यूँ तो अपने आप में हर प्रेम कहानी अनोखी होती है, लेकिन 16 साल तक भूख हड़ताल करने वाली शर्मिला की प्रेम कहानी कई मायनों में अलग है. भारतीय मूल के ब्रितानी नागरिक डेसमंड कूटिन्हो इरोम की ज़िदंगी में ऐसे समय में आए जब वो दुनिया से अलग-थलग इम्फ़ाल के एक अस्पताल में कई सालों से बंद थीं. शर्मिला से जुड़ी ख़बरों को सालों से कवर रहती रहीं पत्रकार चित्रा बताती हैं,...
More »लाखों नवजातों की जान बचा रहे ये 'मिल्क बैंक'
नई दिल्ली/मुंबई। देश में पहली बार पुणे में मां का दूध संकलित कर जरूरतमंद शिशुओं तक पहुंचाने के लिए फ्लाइंग स्क्वाड की शुरुआत हुई है। विश्व स्तनपान सप्ताह के पहले दिन शुरू हुआ यह स्क्वाड घर-घर जाकर मांओं का दूध एकत्रित करेगा। दरअसल, बीते कुछ समय में देशभर में मांओं का दूध एकत्र करने का चलन बढ़ा है। कुछ निजी व सरकारी अस्पतालों में 'ह्यूमन मिल्क बैंक' शुरू होने के बाद...
More »आदर्श गांव कहने से नाराज हो जाते हैं गांव वाले
टीम नईदुनिया।मध्य प्रदेश में आदर्श ग्राम योजना अपने मकसद में फिलहाल पिछड़ती दिख रही है। कुछ वीआईपी सांसदों के गोद लिए गांवों का हालचाल हमने कल देखा था। आज हम ऐसे कुछ और गांवों का हाल देखेंगे। इनमें से कुछ गांवों के निवासी तो आदर्श ग्राम का तमगा सुनकर अब नाराज भी हो जाते हैं। यहां इक्का-दुक्का काम को छोड़ दें तो हालत जस की तस है। योजना के क्रियान्वयन में...
More »शासन की भटकी प्राथमिकताएं-- उर्मिलेश
अपनी हाल की पूर्वी उत्तर प्रदेश यात्रा में मुझे बार-बार इस बात का एहसास होता रहा कि किस तरह हमने अपने वास्तविक मसलों को छोड़ कर अनावश्यक सियासी विवादों को प्राथमिकता में शुमार कर लिया है! यह सिर्फ किसी एक व्यक्ति, एक दल या एक सरकार की बात नहीं है, ऐसा लगता है मानो यह हमारा राष्ट्रीय स्वभाव बन गया है. बड़े राजनीतिक दलों के बड़े पदाधिकारी भी एक-दूसरे को...
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