बारिश, उमस और गरमी के इन दिनों में बदन पर मोटी बंडी कौन पहनेगा भला? लेकिन, मुख्यमंत्री की बात और है! उसे अपने हर क्षण को राजनीतिक मौके में तब्दील करने के लिए उमस में भी सीने पर बंडी बांधनी होती है. हमारे मीडियामुखी समय में कोई क्षण मौके में तब्दील होता है सुर्खियों और तसवीरों में बदल कर. सुर्खियों और तसवीरों के लिए कंट्रास्ट चाहिए, कैमरा और कलम कंट्रास्ट...
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बाढ़ अब हर साल का किस्सा है-- दिनेश मिश्र
हाल के वर्षों तक बाढ़ को ग्रामीण समस्या के रूप में ही देखा जाता था और हमेशा बाढ़ से ग्रस्त रहने वाले इलाकों के लोगों, जो मुख्यत: किसान होते थे, की मान्यता थी कि बाढ़ आती है और चली जाती है। ऐसा विरले ही होता कि कभी ढाई दिन से ज्यादा टिकी हो। लेकिन हमारे बाढ़-नियंत्रण के प्रयासों ने अब गांवों की कौन कहे, शहरी क्षेत्रों को भी अपने में...
More »घर तक आयी गंगा, तो उड़ गयी शहर की नींद
पटना : गोलघर से दीघा तक गंगा की धार को राजधानी की सड़क से दूर रखने के लिए वर्षों पहले सुरक्षा बांध का निर्माण किया गया था. लेकिन, आज गंगा की पेटी यानी बांध के भीतर में हजारों घर बन गये हैं. इसमें एक बड़ी आबादी रह रही है, जो कि गंगा के बढ़े जल स्तर से डरी-सहमी है. रात के अंधेरे में गंगा नदी का डरावना तेज बहाव इनको...
More »कहर ना बन जाए कुदरत की सौगात - मृणाल पांडे
भरपूर मानसून का आना शहर और गांव हर कहीं खुशी का माहौल रचता है। पर इधर जब से नगर, महानगर में और कुछ चुनिंदा शहर स्मार्ट सिटी में बदलने शुरू हुए हैं, बरसात की खुली झड़ी हर शहर, हर कस्बे पर एक आफत बनकर बरसती है। सड़कों पर उफनते नालों-सीवरों का भलभलाकर उलट आना, भारीभरकम जाम, घरों के भीतर घुसे पानी से जान-माल की तबाही, यह हमने गए सालों में...
More »बाढ़ के पानी में है जलसंकट का समाधान-- अनिल जोशी
दुनिया की बड़ी चर्चाओं में पानी और पर्यावरण दो प्रमुख मुद्दे हैं। वैसे पानी भी पर्यावरण का ही हिस्सा है पर अब यह सालभर चर्चाओं में रहता है। गर्मी आते ही देश-दुनिया में पानी के लिए त्राहि-त्राहि मच जाती है और इसके जाते ही पानी-पानी से त्राहि मच जाती है। इस बार देश के 11 राज्यों के 33 करोड़ लोगों ने सीधे पानी की मार झेली है। इससे पहले जलसंकट...
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