जनतंत्र में कुछ आवाजें हैं, जो ज्यादा सुनाई देती हैं। महानगर और शहर के बड़े तबके की आवाज तो जनतांत्रिक विमर्श में सुनी ही जाती है, कस्बों, राजमार्गों और मुख्य सड़कों के किनारे के गांवों की आवाज भी कई बार इसमें दर्ज हो जाती है। लेकिन जो अंतरे-कोने में पडे़ हैं, जो नदियों के किनारे के गांव हैं, जो दियारे में बसे गांव हैं, जो पहाड़ों की तलहटियों में और...
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खेती फायदेमंद तभी किसान खुशहाल-- मोंटेक सिंह अहलूवालिया
खेती-किसानी की बदहाली की खबरें इधर काफी सुर्खियों में रही हैं। अटकलें लगाई जा रही थीं कि अंतरिम बजट में आय हस्तांतरण से जुड़ी कुछ योजनाएं घोषित की जाएंगी। ऐसा हुआ भी। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत सरकार ने किसानों को सालाना आय देने की घोषणा की है। मगर कृषि संकट से पार पाने के लिए हमारे राजनीतिक दलों को छह बातों पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत...
More »बुनियादी आय गारंटी योजना-- आकार पटेल
छोटे किसानों को प्रतिवर्ष 6,000 रुपये नकद देने की योजना की सरकारी घोषणा एक शानदार कदम माना जा रहा है, जिससे चुनाव में राजनीतिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है. बजट में घोषित इस योजना के पहले दो बातें हुई हैं. पहली वह रिपोर्ट, जिसे सरकार ने दबा दिया है, जो कहती है कि बेराजगारी दर 45 वर्षों में सर्वाधिक है. दूसरी यह कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी न्यूनतम...
More »बढ़ सकती है किसानों की सहायता राशि, अरुण जेटली ने दिए संकेत
केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने रविवार को संकेत दिया कि किसानों को सालाना 6,000 रुपये के न्यूनतम सहायता राशि को भविष्य में बढ़ाया जा सकता है। जेटली ने कहा कि सरकार के संसाधन बढ़ेंगे जिससे भविष्य में किसानों को दी जाने वाली सालाना राशि को बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि राज्य इस राशि के ऊपर अपनी ओर से आय समर्थन योजनाओं की घोषणा कर सकते हैं। अगर राज्य...
More »गरीब बदनसीब के आंसुओं से परेशां - गोपालकृष्ण गांधी
कोई तीस साल हुए। शायद उससे भी कुछ ज्यादा। दिल्ली से मैं रेलगाड़ी में जा रहा था। कहां जा रहा था, यह याद नहीं। पर सफर साफ याद है मुझे, जैसे कि कल नहीं आज हुआ हो। क्यूं? क्या हुआ था उस सफर में जो कि भुलाया ना जाए? कोई हादसा? कोई तिलस्मी अनुभव? किसी ऋषि-मुनि का, संयोग से, जीवन बदल देने वाला दर्शन? नहीं, ऐसा कुछ नहीं! एक गाना। सिर्फ,...
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