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भाषाओं का सिमटता संसार, हर साढ़े तीन माह में मर रही है एक भाषा

-डाउन टू अर्थ, पिछले साल अप्रैल में जब सारा देश लॉकडाउन की जद में था, तभी एक भाषा की गुमनाम मौत हो गई। “सारे” नामक इस भाषा को बोलने वाली आखिरी महिला लीचो 4 अप्रैल 2020 को इस दुनिया से विदा हो गई। वह करीब 50 वर्ष की थी। लीचो अंडमान के दक्षिणी द्वीप में रहने वाली महान (ग्रेट) अंडमानी जनजाति समूह से ताल्लुक रखती थी। लंबे समय तक टीबी और...

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नित वेश बदलती महामारी और टीकाकरण की चुनौती: बिहार के कुछ ज़मीनी अनुभव

-जनपथ, इससे पहले भयानक बीमारियों के बारे में बस किताबों में पढ़ा था लेकिन पिछले साल से सब कुछ आंखन देखी हो गया। कोविड-19 ने दुनिया भर की सरकारों को विश्वव्यापी बन्द रखने को मजबूर कर दिया। रेल के पहिये थम गये, हवाई जहाज जमीन पर ही रह गये और लोग अपने अपने घरों में कैद होने को मजबूर हो गये। दवा आने से पहले सिर्फ बचाव ही कोविड-19 से बचने...

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कोरोना की दूसरी लहर और मनरेगा-3: बिहार में मजदूरों को मांग के मुताबिक नहीं मिल रहा काम

-डाउन टू अर्थ, कोविड-19 महामारी के पहले दौर में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) ने ग्रामीणों को बहुत सहारा दिया। सरकार ने भी खुल कर खर्च किया। लेकिन कोविड-19 की दूसरी लहर में मनरेगा ग्रामीणों के लिए कितनी फायदेमंद रही, यह जानने के लिए डाउन टू अर्थ ने देश के पांच सबसे बड़ी जनसंख्या वाले राज्यों में मनरेगा की जमीनी वस्तुस्थिति की विस्तृत पड़ताल की है। इस कड़ी की...

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खरीफ फसलों के एमएसपी की घोषणा , मक्का के लिए 20 रुपये और धान के समर्थन मूल्य में 72 रुपये की वृद्धि

-रूरल वॉइस,  बुधवार 9 जून, 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने कृषि उपज के सरकारी खरीद, सीजन 2021-22 के लिए सभी खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी को स्वीकृति दे दी है। खरीफ की सबसे मुख्य फसल धान के एमएसपी में 72 रुपये प्रति क्विटंल की बढ़ोतरी की गई है। नये सीजन के लिए धान की सामान्य किस्म...

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IFPRI रिपोर्ट: सरकार को महामारी के दौरान पोषण सहायता, शिक्षा और नौकरियों के मामले में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए!

अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (आईएफपीआरआई) की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि 25 मार्च, 2020 को किए गए देशव्यापी लॉकडाउन, जिसे लगभग दो महीने के लिए चरणों में बढ़ाया गया था, ने भारतीय आबादी के कमजोर वर्गों के भोजन और पोषण की स्थिति को प्रभावित किया. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मिड-डे मील योजना जैसे कार्यक्रम से देश के प्राथमिक-विद्यालय आयु वर्ग के 80 प्रतिशत...

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