पटना : नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत द्वारा बिहार के कारण देश को पिछड़ा बताये जाने पर राज्य के अर्थशास्त्रियों और समाजशास्त्रियों ने तीखी प्रतिक्रिया जतायी है. बिहार निवासी समाजशात्री-अर्थशास्त्रियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नीति आयोग के सीईओ को तत्काल हटाये जाने की मांग की है. मालूम हो कि मंगलवार को दिल्ली में आयोजित एक व्याख्यान के दौरान उन्होंने कहा था, ‘‘बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़,...
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Bihar-UP जैसे राज्यों के कारण भारत पिछड़ा : नीति आयोग
नयी दिल्ली : नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने कहा है कि देश के दक्षिणी और पश्चिमी राज्य तेजी से प्रगति कर रहे हैं, लेकिन बिहार, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के कारण देश पिछड़ा बना हुआ है. जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में प्रथम अब्दुल गफ्फार खान स्मारक व्याख्यान के दौरान कांत ने कहा, ‘‘बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों के...
More »बिहार, उप्र व छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों की वजह से पिछड़ रहा है देश : अमिताभ कांत
नई दिल्ली। नीति आयोग के सीईओ का कहना है कि देश के दक्षिणी और पश्चिमी राज्य तो तेजी से विकास कर रहे हैं, लेकिन बिहार, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों की वजह से देश पिछड़ रहा है। सोमवार को दिल्ली के जामिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में अब्दुल गफ्फार खान पर आयोजित पहले मेमोरियल लेक्चर पर उन्होंने यह बातें कहीं। उनका कहना है कि पूर्वी भारत के राज्य खासकर बिहार, उत्तर प्रदेश,...
More »सूचना के संजाल में छीजती संवेदना--- दिनेश कुमार
समाज में साहित्य के लिए जगह लगातार कम होती जा रही है। प्राय: ऐसा प्रतीत होता है कि समाज को साहित्य की कोई जरूरत नहीं है। समाज की प्राथमिकता से साहित्य का गायब होना चिंता से अधिक चिंतन का विषय है। साहित्य के नए पाठक बन नहीं रहे हैं और जो पुराने हैं वे धीरे-धीरे विदा हो रहे हैं। हम एक तरह से क्रमश: साहित्य विहीन समाज की ओर बढ़...
More »समावेशी विकास के प्रतिमान-- अनंत कुमार
भारत की अलौकिक सुंदरता इसकी संस्कृतियों, परंपराओं, लोगों, प्राकृतिक दृश्यों, भाषाओं आदि की विविधता में निहित है. इसका विशाल विस्तार भी ऐसी चुनौतियां प्रस्तुत करता है, जो केवल इस देश के लिए विशिष्ट हैं. अत: इन विविध चुनौतियों से निपटने के लिए ऐसे उपायों की जरूरत है, जो प्रत्येक स्थिति के लिए उपयुक्त हों. भारत के राष्ट्रीय विकास एजेंडा में अन्य के साथ-साथ गरीबी, सतत विकास, स्वास्थ्य, पोषण, लैंगिक...
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