-कारवां, इस साल जनवरी में कारवां के ट्विटर अकाउंट को ब्लॉक करने के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के आदेश के बारे में मंत्रालय से सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी गई थी. मंत्रालय ने इसे देने से इनकार किया है. मंत्रालय ने सार्वजनिक डोमेन पर सूचना जारी करने पर भारत की सुरक्षा, संप्रभुता और अखंडता के लिए खतरे का हवाला दिया है. मंत्रालय के पहले अपीलीय प्राधिकारी ने सूचना ब्लॉक...
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हरियाणा सरकार ने मांगी 'निगेटिव और पॉजिटिव' कवरेज कर रहे मीडिया संस्थानों की सूची
-न्यूजलॉन्ड्री, एक जुलाई को हरियाणा सरकार के सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग की उपनिदेशक (विज्ञापन) उर्वशी रंगारा ने प्रदेश के जिला सूचना एवं जन सम्पर्क अधिकारियों को पत्र लिखा, जिसका विषय ‘जिलेवार स्थानीय समाचार पत्रों की जानकारी के बारे’ है. उर्वशी रंगारा ने पत्र के शुरुआत में लिखा है, ‘‘महानिदेशक महोदय के निर्देशानुसार सभी जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारियों को निर्देश दिए जाते हैं कि वह पुनः अपने-अपने जिले से स्थानीय समाचार...
More »गन्ना मूल्य बकाया भुगतान पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में पीआईएल, राज्य सरकार को चार सप्ताह में देना होगा जवाब
-रूरल वॉइस, उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों के चीनी मिलों पर बकाया गन्ना मूल्य भुगतान में देरी के मुद्दे पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई है। याचिका में कोर्ट को बताया गया है कि उत्तर प्रदेश के किसानों के गन्ना मूल्य भुगतान में देरी हो रही है। किसानों को उनके गन्ना मूल्य का समय से भुगतान न करके उन्हें उनके हक से वंचित किया जा...
More »मुनाफे की चाह और अपारदर्शी कीमत बनी वैक्सीनेशन की राह में रोड़ा
-न्यूजलॉन्ड्री, यह हमारी दुनिया के लिए करो या मरो जैसा क्षण है. वायरस और उसके नए प्रकारों और टीकाकरण के बीच एक दौड़ सी जारी है. नोवेल कोरोनावायरस जिस गति से म्यूटेट कर रहा है, उसका अर्थ है कि जब तक इस विश्व का हर एक आदमी सुरक्षित नहीं हो जाता तब तक कोई सुरक्षित नहीं होगा. डब्लूएचओ के अनुसार हमें लगभग 11 बिलियन खुराकों की जरूरत है और इन्हें सबसे...
More »शेयर बाजार एक आईना है- 40 सालों में कितना बदला भारतीय बिजनेस और इसमें क्या कमी है
-द प्रिंट, चालीस साल पहले सबसे बड़े 30 व्यावसायिक ‘घरानों’ की जो कंपनियां शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध थीं उनका कुल मूल्य 6,200 करोड़ रुपये था. उस समय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) इससे 28 गुना बड़ा (1.75 लाख करोड़ रु. के बराबर) था. ज़्यादातर कंपनियां जूट, चाय, सीमेंट, चीनी, इस्पात के उत्पाद और कपड़े जैसे ‘प्राथमिक’ उत्पादों का उत्पादन करती थीं. उसके बाद से नाटकीय बदलाव हुए हैं. आज नेशनल स्टॉक एक्सचेंज...
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