संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) और इंटरनेशनल लाइवस्टोक रिसर्च इंस्टीट्यूट (ILRI) द्वारा 6 जुलाई (इस वर्ष विश्व भर में अनुसंधान संस्थानों और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा वर्ल्ड जूनोसेस डे के रूप में मनाया गया) को जारी की गई एक रिपोर्ट में यह बताया गया है कि मनुष्यों में 60 प्रतिशत ज्ञात संक्रामक रोगों की उत्पत्ति कहीं न कहीं एक जानवर से संबंधित रही है. इसी तरह, सभी नए और उभरते संक्रामक...
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आंध्र प्रदेश के डॉक्टर ने सुनाई कोविड स्टाफ के साथ राज्य के विश्वासघात की कहानी
-कारवां, इस मई में जब सैन्य हैलीकॉप्टर कोविड-19 अस्पतालों पर फूल बरसा रहे थे तब मैं अपने परिवार के साथ आंध्र प्रदेश के अनंतपुर शहर में था. यह महामारी की वह घटना थी जिसमें सरकार के साथ-साथ नागरिकों ने भी स्वास्थ्य कर्मियों को वीरों और अपने कर्तव्य के प्रति बलिदान होने वाले "योद्धाओं" के रूप में माना. जब तमाम न्यूज चैनल स्वास्थ्य कर्मियों को सम्मानित करने के सरकार के काम की सराहना...
More »कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामले 88 लाख के पार, 41,100 नए मामले सामने आए
-द वायर, भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले 88 लाख के पार पहुंच गए, वहीं 82 लाख से अधिक लोग संक्रमण मुक्त हो चुके हैं. इसी के साथ संक्रमण से ठीक होने की राष्ट्रीय दर 93.09 प्रतिशत हो गई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा रविवार सुबह आठ बजे जारी आंकड़ों के अनुसार, देश में कोविड-19 के 41,100 नए मामले सामने आने के बाद संक्रमण के मामले बढ़कर 8,814,579 हो गए, वहीं...
More »चेतावनी : पटाखे बना सकते हैं दिल्ली को गैस चैंबर, खतरनाक पीएम 2.5 बढ़ने से बढ़ सकती हैं अतिरिक्त मौतें
-डाउन टू अर्थ, दिल्ली-एनसीआर समेत खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों में यदि कोविड महामारी के दौर वाली 2020 की दीपावली में भी अदालत व अन्य आदेशों का उल्लंघन करते हुए पटाखे दगाए या जलाए जाते हैं तो यह न सिर्फ शहरों को गैस चैंबर में बदल सकता है बल्कि अतिरिक्त मौतों का कारण भी बन सकता है। दीपावली में पटाखे जलाए जाने के दौरान कारण यह पाया गया है कि इससे...
More »महामारी के दौर में बहुआयामी गरीबी के चक्र में फंसे लोग, 3 से 10 साल तक पिछड़ सकते हैं विकासशील देश!
बहुआयामी गरीबी मौद्रिक यानी पैसे आधारित गरीबी नहीं है बल्कि यह गैर-मौद्रिक आधारित गरीबी है, जो सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने की चुनौतियों से दृढ़ता से जुड़ी है. हालाँकि पहले गरीबी को केवल मौद्रिक यानी धन आधारित गरीबी के संदर्भ में ही परिभाषित किया गया था, लेकिन अब गरीबी को लोगों के अनुभवों की जीवंत वास्तविकता और उनके द्वारा भोगे जाने वाले अनेकों अभावों से जोड़कर देखा जाता...
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