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‘संकट में भी दूध की सप्लाई रखी बरकरार’

-आउटलुक,  लॉकडाउन के दौरान दूध और इसके उत्पादों की सप्लाई को सुचारु रखना बड़ी चुनौती है। दूध की बड़ी मात्रा खपाने वाले हलवाई, आइसक्रीम निर्माता और अन्य उत्पाद बनाने वाले गायब हैं। इससे दूध उत्पादकों को नुकसान हो रहा है। कुछ उत्पाद हॉट केक बन गए तो कुछ गायब हो गए हैं। डेयरी क्षेत्र पर कोरोना महामारी के असर पर गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लि. (अमूल) के मैनेजिंग डायरेक्टर आर.एस....

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संकटों को अवसर बना लेने वाले मुल्क अपनी अगली पीढ़ियों को एक तपी-निखरी दुनिया सौंपते हैं

-इंडिया टूडे, बीसवीं सदी की महामंदी, 1991 के भारतीय आर्थिक संकट और 2008 की ग्लोबल बैंकिंग आपदा का इतिहास हमें कुरेद-कुरेद कर बताता है कि अंतत: वही जीतते हैं जो एक अच्छी आपदा को बर्बाद नहीं करते. संकटों को अवसर बना लेने वाले मुल्क अपनी अगली पीढि़यों को एक तपी-निखरी दुनिया सौंपते हैं. बड़े बदलाव के लिए किसी बड़े संकट का इंतजार था तो मुराद अब पूरी हो गई है. संकट में...

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गेहूं उत्पादक किसानों के लिए आफत बना कोरोना, फसल काटना बड़ा चैलेंज

-जनज्वार, हरियाणा और पंजाब के किसानों के सामने इस बार गेहूं की कटायी आफत बन गयी है, क्योंकि फसल काटने का 60 प्रतिशत काम प्रवासी मजदूर ही करते थे। लगभग एक अप्रैल से गेहूं की कटाई शुरू हो जाती है, मगर इस बार लाॅकडाउन की वजह से 9 अप्रैल के बाद भी कटाई की तैयारी नहीं हुई है। पंजाब कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार 5 लाख हेक्टेयर और हरियाणा के कृषि...

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कोविड-19: जहां यूरोप चूक गया उससे भारत को सबक लेना चाहिए

-न्यूजलॉन्ड्री, चीन के डॉक्टरों और वैज्ञानिकों ने 24 जनवरी को नॉवेल कोरोना वायरस से होने वाली नई बीमारी का पहला विवरण प्रस्तुत किया था. उन्होंने बताया था कि कैसे निमोनिया के नए तरह के मामले हुबेई प्रांत की राजधानी और 1.1 करोड़ की आबादी वाले शहर वुहान में पिछले साल के दिसंबर महीने में पहली बार सामने आये थे. उस समय तक नयी बीमारी के 800 मामलों की पुष्टि हो चुकी...

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सवाल यह है कि पहले कभी ये मजदूर आते-जाते क्यों नहीं दिखे?

-गांव कनेक्शन, पूरा भारत लॉकडाउन में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से अपील कि 21 दिन तक कोरोना से बचाव के लिए वो घरों के बाहर लक्ष्मण रेखा खींच लें। होटल-ढाबे बंद हैं, बस-ट्रेनें बंद हैं, ऐसे में दूसरे राज्यों में फँस चुके लाखों मजदूर सैकड़ों किलोमीटर दूर पैदल ही अपने घर की ओर निकल पड़े हैं, यह मजदूर क्या चाहते हैं और क्यों इन मजदूरों की ऐसी दशा हुई,...

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