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बंगाल की खाड़ी से बवंडर-- मृणाल पांडे

मूल मंशा चाहे जो रही हो, केंद्र से आये सीबीआई के जत्थे का यकायक कोलकाता के पुलिस कमिश्नर के घर पर नाटकीय धावा बोल देना बंगाल की खाड़ी से उठा एक बीहड़ बवंडर दिख रहा है. इसने देखते-देखते सारे देश को गिरफ्त में लेकर समूचे विपक्ष को ममता के पक्ष और केंद्र के खिलाफ लामबंद कर दिया है. यदि पता होता कि पांच साल पुराने मामले की जांच...

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राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के चलते चुनाव सुधार लंबित: पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त

नई दिल्ली: पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने कहा है कि भारतीय लोकतंत्र के विषय में जश्न मनाने के लिए काफी कुछ है लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी या स्पष्ट निष्क्रियता के चलते कई चुनावी सुधार लंबित हैं. कुरैशी ने कहा, ‘हमारी प्रणाली में कुछ त्रुटियों के प्रति सावधान रहना भी आवश्यक है, जिसमें लोकतांत्रिक व्यवस्था में सुधार की काफी गुंजाइश रहती है.' कुरैशी ने चुनावी लोकतंत्र में भारत के विशिष्ट...

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जन-बुद्धिजीवी की चीख और अपील-- रविभूषण

किसी भी समाज में जन-सार्वजनिक बुद्धिजीवी की विशेष भूमिका होती है. ऐसे बुद्धिजीवी जनता की आवाज होते हैं, उन्हें दिशा-दृष्टि देते हैं. पिछले कुछ समय से भारतीय बुद्धिजीवियों पर राज्य द्वारा अनेक आरोप मढ़े जा रहे हैं. लेखक, स्तंभकार, शिक्षाविद्, राजनीतिक विश्लेषक, नागरिक अधिकार सक्रियतावादी, प्रसिद्ध-प्रतिष्ठित, महत्वपूर्ण दलित चिंतक आनंद तेलतुंबड़े को भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी बनाया गया है और उनके नौ सह-आरोपी अभी जेल में हैं, जिनकी भारतीय बौद्धिक...

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आसान नहीं आरक्षण की राह-- प्नो. फैजान मुस्तफा

पिछले दिनों आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने हेतु संसद के दोनों सदनों में पारित 124वें संविधान संशोधन विधेयक के द्वारा संविधान के अनुच्छेद 16 में एक नया उपबंध जोड़ा गया है, जो राज्यों को ऐसे प्रावधान करने में समर्थ बनाता है. इस वजह से केंद्र सरकार को यह भरोसा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस आरक्षण को असंवैधानिक करार देने की संभावना नहीं होगी...

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आजाद मीडिया के पक्ष में तर्क-- मृणाल पांडे

देश के हर चौराहे, चायखाने, पान की दुकान और शिक्षा परिसर में आजकल भारतीय लोकतंत्र के भविष्य पर चिंता जतायी जा रही है, नाना अटकलें लगायी जा रही हैं. और इन अटकलों का स्रोत मीडिया है, पारंपरिक या सोशल मीडिया. आजादी के सत्तर वर्षों बाद देश जनता को जागृत करनेवाली ताकत के रूप में मीडिया को पहचान रहा है, जिसके विमोचन के लिए गांधी जी ने ‘नवजीवन' नामक साप्ताहिक...

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