प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बहुआयामी शख्सियत के धनी हैं। आज जब वे प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल का एक साल पूरा कर रहे हैं तो उनके शुभचिंतक-प्रशंसक और उनके निंदक-आलोचक दोनों ही अलग-अलग दृष्टिकोणों से इसकी समीक्षा कर रहे हैं। सोनिया और राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने इस एक साल में यह तो स्पष्ट कर ही दिया है कि आर्थिक सुधारों की डगर पर वह विपक्ष के रूप...
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जिसका खाता, बस उसी को लाभ - मोहन गुरुस्वामी
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन नई सामाजिक सुरक्षा योजनाएं लॉन्च की हैं। इनमें दुर्घटना बीमा, जीवन बीमा और पेंशन योजनाएं शामिल हैं, जिनके मार्फत समाज के ऐसे वंचित-असंगठित तबके को लाभान्वित करने का लक्ष्य है, जिन तक अभी तक ऐसी योजनाओं के लाभ नहीं पहुंच पाए थे। लेकिन इसमें एक पेंच है। योजनाओं का लाभ वे ही लोग उठा सकेंगे, जिनका अपना एक बैंक खाता हो। हकीकत...
More »विकास का नया भारतीय मॉडल - वीएन कौल
इस बात का अपने आपमें एक प्रतीकात्मक महत्व था कि नीति आयोग 1 जनवरी 2015 को अस्तित्व में आया। यह नए साल में नई सरकार के नए दृष्टिकोण को दर्शाने वाला कदम था। नीति आयोग ने जिस योजना आयोग की जगह ली, उसका मूल विचार प्रो. मेघनाद साहा के दिमाग की उपज था, जिन्होंने वर्ष 1938 में समाजवादी शैली में संचालित होने वाली एक राष्ट्रीय योजना समिति की परिकल्पना की...
More »कंपनी बड़ी या देश-- अरविन्द कुमार सेन
नोबेल पुरस्कार विजेता पॉल क्रुगमैन ने दो दशक पहले शोध पत्रिका हॉवर्ड बिजनेस रिव्यू में ‘देश एक कंपनी नहीं है' शीर्षक से शोध-पत्र लिखा था। यह शोध-पत्र उस दौर में प्रकाशित हुआ था, जब भुगतान संतुलन की बीमारी से दो-चार हो रही भारत जैसी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं पर विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक संगठन की अगुआई में नवउदारवादी नीतियां थोपी जा रही थीं। हर तरफ आर्थिक सुधारों की मार्फत अर्थव्यवस्था को...
More »झारखंड में विकास की राशि भी खर्च नहीं होती- मनोज प्रसाद
प्रभात खबर,राज्य गठन के बाद से ही यहां विकास कार्य के लिए मिली राशि की चौथाई भी सरकारी महकमे खर्च नहीं कर पा रहे. सरकारी अफसरों की अकर्मण्यता से हर साल करोड़ों रुपये लैप्स कर जाते हैं. राज्य की जनता को उनके हक से वंचित कर दिया जाता है, जबकि इसी काम के लिए लाखों रुपये का वेतन सरकारी अधिकारी उठाते हैं. राज्य में विधानसभा चुनाव हो रहा है....
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