एक वयस्क व्यक्ति से पूछा जानेवाला सबसे वाजिब सवाल है कि वह अपने जीवन का क्या करना चाहता है. लेकिन, भारतीय स्त्री को कभी इतना वयस्क समझा नहीं गया कि उससे यह सवाल पूछा जाये. बचपन से लेकर शादी के बाद तक उसे इस सवाल का जवाब खुद तलाशने की न इजाजत होती है न अवसर. उसे क्या बनना है और क्या करना है- यह परिवार, समाज, धर्म, स्कूल जैसी...
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काला या गोरा, धन तो आया-- अनिल रघुराज
कहते हैं कि पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं. इसी तरह अपने यहां केंद्र सरकार की असली चाल-ढाल पहले दो-ढाई साल में ही दिख जाती है. बाद का आधा कार्यकाल तो अगले चुनावों का माहौल बनाने में चला जाता है. नरेंद्र मोदी सरकार के साथ तो यह भी दिक्कत है कि कार्यकाल के तीसरे साल में उत्तर प्रदेश और पंजाब जैसे अहम राज्यों के विधानसभा चुनाव होने...
More »आत्महत्या करनेवालों में किशोर और युवा सबसे आगे
टूट रही नयी पीढ़ी को सहारा देनेवाली डोर देश की नयी पीढ़ी में तनाव और अवसाद किस कदर बढ़ रहा है, इसका स्पष्ट संकेत लंदन की प्रतिष्ठित पत्रिका लांसेट में छपी ताजा रिपोर्ट से मिलता है. रिपोर्ट के मुताबिक हमारे देश में किशोरों और युवाओं की मौत का अब सबसे बड़ा कारण आत्महत्या है. हालांकि राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े पहले ही बता चुके हैं कि भारत में आत्महत्या करनेवालों...
More »कहां चले गये रोजगार?- डॉ भरत झुनझुनवाला
राज्यों में चल रहे चुनावों में भाजपा ने रोजगार के नाम पर वोट मांगे हैं. रोजगार सृजन के दो उपाय हैं. एक उपाय है कि बड़े उद्योगों पर टैक्स लगा कर छोटे उद्योगों को संरक्षण दिया जाये. छोटे उद्योगों में रोजगार ज्यादा उत्पन्न होते हैं. दूसरा उपाय है कि बड़े उद्योगों को पहले छोटे उद्योगों को नष्ट करने दिया जाये. इसके बाद मनरेगा जैसी योजनाओं से रोजगार उत्पन्न किया जाये....
More »मजदूर होने का मतलब- डा अनुज लुगुन
अभी कुछ दिन पहले ही कोलकाता में ओवरब्रिज के गिरने से 22 लोगों के मरने की खबर आयी थी. मरनेवालों में ज्यादातर मजदूर थे. इनमें से एक उत्तर प्रदेश निवासी शंकर पासवान भी था, जो मोटिया का काम करता था. वह होली में अपने घर इसलिए नहीं गया, ताकि वह कुछ दिन और काम करके बेटी की शादी के लिए कुछ पैसे जमा कर सके. यह हमारे देश के मजदूरों...
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