देश में कहीं भी जाइये, चारों ओर अगर चुनौतियों के अलावा कोई और चीज साफ नजर आयेगी, तो वह है युवा! हर युवा की आंखों में एक चमक है- कोई अपना स्टार्टअप करके देश बदलने का स्वप्न देख रहा है (आखिर इस साल की ताजतरीन मिठाई जो ठहरी!), कोई विदेश जाने का (इतनी अच्छी लाइफ यहां कैसे मिलेगी!), तो कोई आइएएस बन कर प्रशासनिक क्रांति लाने का सपना देख रहा...
More »SEARCH RESULT
कितने स्मार्ट हो पायेंगे हमारे शहर-- नारायण कृष्णमूर्ति
टेक्नोलॉजी, खासकर इंटरनेट ने हमारे कामकाज का रवैया बदल दिया है। अब घर बैठे स्मार्ट ग्रिड के जरिये निर्बाध इंटरनेट, गैस, बिजली और पानी प्राप्त करने की कल्पना सपना नहीं है। इस लिहाज से स्मार्ट सिटी का स्वागत करना चाहिए, जहां हर कोई एक-दूसरे से जुड़ा रहेगा और तमाम नागरिक सुविधाएं हासिल कर पाएगा। सोच यह है कि इन स्मार्ट नगरों को ऐसे बनाया जाए कि वे शिक्षा, रोजगार और...
More »दस प्रतिशत शहरी गरीब परिवारों की संपत्ति मात्र 291 रुपये
हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। बार-बार मानसून की बेरुखी से खेती पर मार और रोजगार के अभाव के कारण गांवों की स्थिति खराब है, लेकिन हकीकत में शहर के गरीबों का हाल और भी बुरा है। शहरों में 10 प्रतिशत गरीब परिवार के पास औसतन मात्र 291 रुपये की संपत्ति है। इन परिवारों की स्थिति गांव के गरीबों से भी बदतर है। इतना ही नहीं शहर में गरीब और अमीर परिवारों की...
More »वंचितों के उत्थान से ही देश का उत्थान-- आकार पटेल
भारतीय जनगणना, 2011 के अनुसार, देश में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लोगों की संख्या देश की कुल आबादी में 25 प्रतिशत से ज्यादा हो गयी है. इनमें 16.6 प्रतिशत दलित हैं और 8.6 प्रतिशत आदिवासी हैं. ये दो अन्य संज्ञाएं हैं, जिनके द्वारा इन समुदायों (जिन्हें अंगरेज अनटचेबल और ट्राइबल कहा करते थे) को संबोधित किया जाता है. भारत की एक चौथाई आबादी का अर्थ...
More »हाथभर उजाला और कोसभर अंधेरा - अनुराग चतुर्वेदी
दुनिया में अमीरों और गरीबों के बीच बढ़ती खाई को लेकर बेहद चौंकाने वाले आंकड़े आए हैं। कल से शुरू हुए अमीर देशों के सम्मेलन से ऐन पहले जारी किए गए इन आंकड़ों को सही मानें तो आज महज 62 धनकुबेरों के पास दुनिया की आधी आबादी के बराबर धन इकठ्ठा हो गया है। ऑक्सफेम के इस सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि जल्द ही वह स्थिति निर्मित...
More »