नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2008 से लेकर 2014 के बीच अंधाधुंध कर्ज देने वाले बैंकों पर अंकुश लगाने में नाकाम रहने को लेकर रिजर्व बैंक की आलोचना की है। उन्होंने मंगलवार को कहा कि इससे बैंकों में फंसे कर्ज (एनपीए) का संकट बढ़ा है। जेटली ने आरबीआई की आलोचना ऐसे समय की है, जब केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता को लेकर वित्त मंत्रालय और आरबीआई के बीच तनाव बढ़ने...
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आर्थिक मोर्चे पर बढ़ती चुनौतियां - डॉ. जयंतीलाल भंडारी
इन दिनों देश कई मोर्चों पर आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें लगातार चिंता का सबब बनी हुई हैं। इसके चलते घरेलू बाजार में भी पेट्रोल-डीजल के दाम लगातार चढ़ रहे हैं और आलम यह है कि पिछले दिनों सरकार ने इस मोर्चे पर उपभोक्ताओं को राहत देने की जो पहल की थी, वह भी अब पुन: दाम चढ़ने के साथ निस्तेज...
More »मुद्रास्फीति पर निगरानी की नकेल- जगदीश रतनानी
नीतिगत रेपो दर में वृद्धि के दो चक्रों के बाद, रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने इस बार एक विराम-सा लेकर उसके द्वारा बैंकों को दिये जानेवाले अल्प अवधि के ऋणों हेतु उनसे लिये जानेवाले ब्याज दर को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित ही छोड़ दिया. ज्ञातव्य है कि इस दर में होनेवाला कोई बदलाव एक अरसे बाद अंततः बैंक से ऋण लेनेवालों को लगनेवाली ब्याज दर में...
More »ताकि वे अपनी पसंद से खरीदें अनाज- कार्तिक मुरलीधरन
सस्ते दामों पर राशन का सार्वजनिक वितरण (पीडीएस) भारत की प्रमुख खाद्य सुरक्षा योजना है, लेकिन यह कई जानी-पहचानी समस्याओं से घिरी है। सरकारी एजेंसियों का ही आकलन है कि पीडीएस पर सरकारी खर्च का एक बड़ा हिस्सा उचित लाभार्थियों तक नहीं पहुंचता। इसके चलते, एक विकल्प सामने आया कि क्यों न इस सब्सिडी युक्त अनाज की जगह लाभार्थियों को (खाद्य पदार्थों पर खर्च करने के लिए) सीधा पैसे भेजे...
More »अब बड़ा मसला है डाटा की सुरक्षा-- पवन दुग्गल
आधार पर सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ का फैसला उम्मीद के मुताबिक है। यह माना ही जा रहा था कि इतना आगे बढ़ जाने के बाद आधार से मुंह मोड़ा नहीं जा सकता। मगर हां, जिन शर्तों के साथ इसे कानूनी जामा पहनाया गया है, उसमें कई संदेश छिपे हैं। शीर्ष अदालत ने यह साफ कर दिया है कि कुछ सेवाओं को छोड़कर अब आधार का उपयोग अनिवार्य नहीं होगा।...
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