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चुनावी प्रक्रिया में परिवर्तन जरूरी--- शरत कुमार

हम सौभाग्यशाली हैं कि देश की चुनाव प्रक्रिया ही कार्यकारी राजनीतिक शक्ति का एक मात्र मार्ग है. हाल के साफ-सुथरे चुनावी परिणाम इसका सबूत हैं. हालांकि, चुनावी-प्रक्रिया में अनेक सुधारों के बावजूद आज भी आम जनता की राय में चुनावी प्रक्रिया देश की मूल खराबियों का मुख्य कारण है, जैसे कि सरकारी खजाने की चोरी, कालेधन की अपार महत्ता आदि. इन सब से जनता का चुनावी पद्धति और व्यवस्था में...

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पर्यावरणीय नैतिकता और यथार्थ-- के. सिद्धार्थ

सभ्यता और सभ्य होने का सिर्फ एक अर्थ है,अपने आसपास के पर्यावरण का आदर और आदरसूचक मूल्य से उसके प्रति सोच। सभ्यताओं का पतन तभी होता है जब आसपास के पर्यावरण के प्रति सम्मान कम हो जाता है, पर्यावरण के प्रति नजरिया व परिप्रेक्ष्य बदल जाता है। सिंधु घाटी, दजला फरात, माया- इन सभी सभ्यताओं का पतन इन्हीं कारणों का प्रतिफल था। आज का आधुनिक और सभ्य समाज पर्यावरण के...

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CM नीतीश की घोषणा, शराबबंदी पर बनेगी फिल्म और गांव-गांव में दिखायी जायेगी

दरभंगा / पटना : दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के ऑडिटोरियम में जीविका समूह द्वारा आयोजित मद्य निषेध कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नीतीश ने कहा कि शराबबंदी पर फिल्म बनाकर गांव-गांव में दिखाई जायेगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि शराबबंदी से बिहार में कुल संज्ञेय अपराधों में 17.08 प्रतिशत की कमी आयी है. मुख्यमंत्री ने लोगों से कहा कि वे शराबबंदी में पूर्ण सहयोग करें. इससे राज्य का भला होगा. सूबे...

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वो 5 बातें जिनकी वजह से मनाना पड़ रहा है पृथ्‍वी दिवस

22 अप्रैल को दुनिया के 192 देश 46वां विश्व पृथ्वी दिवस मना रहे हैं। लेकिन मात्र एक दिन पृथ्वी दिवस के रूप में मना कर हम प्रकृति को बर्बाद होने से नहीं रोक सकते हैं। जीवन और पर्यावरण एक-दूसरे के पूरक हैं। पर्यावरण के बगैर जीवन असम्भव है। कोई दो राय नहीं कि अगर पृथ्‍वी खतरे में रहेगी तो मनुष्‍य जाति भी खतरे में रहेगी। दुर्भाग्‍यवश पृथ्‍वी का अस्ति‍त्‍व खतरे...

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कितने बदल रहे हैं हमारे गांव-- आर विक्रम सिंह

समस्याएं चिह्नित करना एक बात है, समाधान के रास्ते खोजना दूसरी बात। हमारे गांवों में अशिक्षा है, बेरोजगारी है, बीमारियां हैं, जमीनों के विवाद, मुकदमे हैं। जात-पांत की सामाजिक समस्याएं बरकरार हैं। हां, शोषण का वह रंग अब नहीं है, जो प्रेमचंद के उपन्यासों में मुखर होता है। कथित उच्च वर्ग में श्रम से अरुचि, दलित वर्ग में शिक्षा से अरुचि भी वहीं की वहीं है। नगरों की ओर पलायन...

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