-इंडिया स्पेंड, बिहार के सहरसा जिले की महिषी पंचायत के 55 वर्षीय धनंजय पौद्दार सालों से शराब पीते आ रहे थे। साल 2016 में नितीश कुमार सरकार के द्वारा की गई शराबबंदी के बाद धनंजय को जब शराब मिलना बंद हुई तो उन्होंने ताड़ी और गांजे का सहारा लिया। "लेकिन हमें गांजा का ऐसा नशा लग चुका है कि अगर किसी दिन गांजा नहीं मिले तो शरीर में अजीब सा होने...
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आर्थिक विकास तो महत्वपूर्ण है, लेकिन भारत को बेरोजगारी, गरीबी, स्वास्थ्य, पर्यावरण पर भी ध्यान देना जरूरी है
-द प्रिंट, बजट और आर्थिक सर्वेक्षण से व्यापक अर्थव्यवस्था के लिए सरकार की जो रणनीति उभरती है उसे इन शब्दों में सरलता से कहा जा सकता है—आर्थिक वृद्धि सभी समस्याओं का समाधान कर देगी. यह रणनीति दो दशक पहले कारगर होती थी जब व्यापक अर्थव्यवस्था के संकेतक आज के वित्तीय घाटे के लिहाज से हुआ करते थे, सरकारी कर्ज पर ब्याज भारी होता था, और बैंक समस्याओं से ग्रस्त होते थे....
More »बुंदेलखंड क्षेत्र के बच्चे कुपोषण की दोहरी मार झेल रहे हैं
पिछले समाचार अलर्ट में, हमने बुंदेलखंड क्षेत्र में कुपोषण की समस्या को 3 संकेतकों के हिसाब से देखा था - 5 साल से कम उम्र के बच्चों का अनुपात जो स्टंटिंग से ग्रस्त हैं (उम्र के हिसाब से कम लंबाई); 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का अनुपात जो वेस्टिंग के शिकार हैं (लंबाई के हिसाब से कम वजन); और 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का अनुपात...
More »बजट में खाद्य और उर्वरक सब्सिडी में हो सकती है कटौती, इस साल इसके पांच लाख करोड़ से अधिक रहने की संभावना
-रूरल वॉइस, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जब एक फरवरी को आगामी वित्त वर्ष 2022-23 का बजट संसद में पेश करेंगी तो उनके सामने खाद्य और उर्वरक सब्सिडी का ट्रेंड बदलने का संकेत देने की चुनौती होगी। चालू वित्त वर्ष में राजनीतिक फायदे के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत फ्री अनाज का आवंटन मार्च तक जारी रखने और अंतरराष्ट्रीय बाजार में उर्वरकों और उनके कच्चे माल की कीमतों में...
More »कोरोना महामारी के बीच 17 महीनों में दिल्ली सरकार ने विज्ञापन पर खर्च किए 490 करोड़
-न्यूजलॉन्ड्री, 12 जनवरी को दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल पंजाब के मोहाली में थे. यहां डोर टू डोर प्रचार के सवाल पर केजरीवाल ने कहा, ‘‘कोरोना के चलते चुनाव आयोग ने डोर टू डोर कैंपेनिंग के लिए कहा है, लेकिन हम तो डोर टू डोर ही करते हैं. ये ट्रेडिशनल तरीका होता था चुनाव लड़ने का. अब तो पैसे खर्चते हैं. बड़े-बड़े एड...
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