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क्या हम भारतीय कृषि क्षेत्र में घटती किसानी आमदन के साक्षी हैं?

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के 77वें दौर के सर्वेक्षण पर आधारित 'ग्रामीण भारत में परिवारों की स्थिति का आकलन और परिवारों की भूमि जोत, 2019', हाल ही में जारी स्थिति आकलन सर्वेक्षण इस तथ्य को स्थापित करता है कि किसान परिवार अपनी आजीविका के लिए 'खेती-बाड़ी से शुद्ध आय' के बजाय मजदूरी पर अधिक से अधिक निर्भर हैं. मार्क्सवादी शब्दावली में, सर्वहाराकरण (एक शब्द जिसे हम निर्वासन के लिए शिथिल रूप से उपयोग कर सकते हैं) उस प्रक्रिया...

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उत्तर प्रदेश के किसान से तीन गुणा अधिक कमाता है पंजाब का किसान

-डाउन टू अर्थ, उत्तर प्रदेश के किसान की मासिक आमदनी के मुकाबले पंजाब के किसान की मासिक आमदनी तीन गुणा से अधिक है। जबकि झारखंड के किसान के मुकाबले 5 गुणा अधिक है। गत सितंबर माह में राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) ने ग्रामीण भारत में कृषक परिवारों की स्थिति और परिवारों की भूमि एवं पशुधन का मूल्यांकन 2019 रिपोर्ट जारी की गई। इस रिपोर्ट में किसानों द्वारा मासिक आमदनी की जानकारी दी गई...

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लखीमपुर हत्याकांड और राष्ट्रीय समाचार पत्रों की कवरेज!

-गांव सवेरा, उत्तर प्रदेश के लखीमपुर में बीजेपी मंत्री की गाड़ी द्वारा किसानों को कुचलकर मारने की घटना के दूसरे दिन समाचार पत्रों की कवरेज की समीक्षा के लिए अंग्रेजी और हिंदी के कुछ समाचार पत्रों को शामिल किया है. अंग्रेजी समाचार पत्रों में ‘द हिंदू’, ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ और ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ शामिल है वहीं हिंदी के समाचार पत्रों में ‘दैनिक भास्कर’,’दैनिक ट्रिब्यून’,’दैनिक जागरण’, और ‘अमर उजाला’ जैसे राष्ट्रीय...

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पूंजीवाद के दौर में क्यों ज़रूरी है किसान-मज़दूरों का गठबंधन

-न्यूजक्लिक, मार्क्सवादी सिद्धांत, बदलते वक्त के साथ विकसित होता है, जैसे कि खुद पूंजीवाद विकसित होता है। इसीलिए तो मार्क्सवाद अब भी एक जीवंत सिद्धांत बना हुआ है। पूंजीवाद का अतिक्रमण संभव बनाने वाली क्रांतिकारी प्रक्रिया में किसानों की भूमिका के प्रश्न पर, मार्क्सवादी सिद्धांत में उल्लेखनीय विकास हुए हैं। मैं यहां इन्हीं पर चर्चा करने जा रहा हूं। हालांकि फ्रेडरिक एंगेल्स ‘द पीजेंट वार इन जर्मनी’ में पहले ही इस...

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खरीफ सीजन में बुंदेलखंड के एक गांव को 11 करोड़ का नुकसान, कैसे होगी किसान की आमदनी दोगुनी

-डाउन टू अर्थ, उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के बांदा जिले के अधिकांश गांवों में खरीफ की फसल पानी की कमी या अत्यधिक बारिश से बुरी तरह प्रभावित हुई है। सबसे बड़ा झटका तिल की खेती करने वाले किसानों को लगा है। जिले के कुछ गांव तो ऐसे हैं जहां लगभग 100 प्रतिशत किसानों ने तिल की बुआई की थी। बसहरी भी ऐसा ही एक गांव है। डाउन टू अर्थ ने...

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