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ऐसे तो नहीं मिलेगी किसान को राहत - डॉ भरत झुनझुनवाला

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने किसानों के लिए नई बीमा योजना लागू करने की घोषणा की है। प्राकृतिक आपदाओं से हुई खेती की क्षति के कारण किसान कर्ज अदा नहीं कर पाते हैं और खुदकुशी को मजबूर होते हैं। योजना है कि बीमा के प्रीमियम पर सरकार सबसिडी देगी। देश के लगभग दो-तिहाई किसानों के पास ढाई एकड़ से कम जमीन है। उत्तराखंड के मेरे गांव में इतनी जमीन पर लगभग...

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बाज आएं जातिवाद की सियासत से- संजय गुप्त

जातिगत जनगणना के आंकड़ों की आड़ में हो रही राजनीति के बीच केंद्रीय वित्तमंत्री ने यह स्पष्ट करके अच्छा किया कि राज्यों को ये आंकड़े पहले ही भेजे जा चुके हैं और वे जातियों-उपजातियों, गोत्रों आदि के असमंजस को दूर कर दें तो फिर तर्कसंगत वर्गीकरण का काम शुरू हो। यह काम 'नीति आयोग" की एक समिति करेगी और फिर जातिवार आंकड़ों को देश के सामने लाया जाएगा। 2011 की जनगणना...

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पानी का संकट पहल का इंतजार

उत्तर भारत, खासकर पंजाब, हरियाणा और दिल्ली की धरती के नीचे का जल-स्तर गिरता जा रहा है। नासा की हालिया रिपोर्ट में इस बात की तस्दीक की गई है कि बढ़ते शहरीकरण और सिंचाई पर ज्यादा निर्भरता के कारण भारत गंभीर जल संकट की तरफ बढ़ चला है। जिंदगी के लिए जरूरी जल-संसाधन के गहराते संकट पर संजय शर्मा की प्रस्तुति कुएं भले ही अतीत की चीज हो गए हैं, लेकिन...

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सहकारी संघवाद के रास्ते पर- एम के वेणु

एनडीए सरकार ने विवादास्पद भूमि अधिग्रहण विधेयक पर अपने आक्रामक रुख में ठीक ही नरमी लाते हुए कहा है कि प्रस्तावित विधेयक पर चर्चा के लिए बुलाई गई नीति आयोग की बैठक में शामिल सभी मुख्यमंत्रियों के विचारों पर ध्यान दिया जाएगा। गौरतलब है कि इस विधेयक पर पहले ही संसद की काफी ऊर्जा खर्च हो चुकी है। भूमि अधिग्रहण अध्यादेश पर काफी राजनीतिक आक्रामकता दिखाने (अब तक तीन बार अध्यादेश...

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जब भ्रष्टाचार संस्थागत रूप लेता है- बीके चतुर्वेदी

तीन दशक से भी पहले मध्य प्रदेश में सरकारी नौकरियों और मेडिकल एवं इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिला संबंधी परीक्षा आयोजित करने के लिए व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) की स्थापना की गई थी। वह विचार बुरा नहीं था। आम तौर पर इस तरह के चयन से पारदर्शिता और निष्पक्षता को ही बढ़ावा मिलता है। हालांकि इसका एहसास नहीं था कि सरकारी क्षेत्र के एक संगठन में रोजगार देने की इतनी शक्ति...

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