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गरीबी, खाद्य सुरक्षा और कैश ट्रांसफर- रितिका खेड़ा

कुछ महीने पहले योजना आयोग की गरीबी रेखा पर काफी चर्चा हुई हैं. उच्चतम न्यायलय में दायर हलफनामे में योजना आयोग ने कहा कि 2011 की सरकार की गरीबी रेखा- ग्रामीण क्षेत्रों में 26 रुपए और शहरी क्षेत्रों में 32 रुपए- जीवनयापन यानी खाना, शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त है. आज से पहले किसी भी सरकार ने यह दावा नहीं किया कि गरीबी रेखा जीवन बिताने के लिए पर्याप्त...

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बुजुर्गों के लिए इज्जत की जिन्दगी -आईए, एक अभियान का हिस्सा बनें

बुजुर्गों की जीवन-संध्या पूरी गरिमा और बिना किसी अभाव के बीते- यह हर सभ्य समाज का नैतिक दायित्व है। बुजुर्गों के प्रति इसी दायित्व-भाव से पेंशन परिषद् दिल्ली में जन्तर-मन्तर पर अगामी 7 मई से 11 मई(2012) तक एक अभियान के तहत धरने का आयोजन कर रहा है। धरने के आयोजन के पीछे मकसद एकदम सरल और सहज है, और इस मकसद को पूरा करने का वक्त अब आ चुका है। आगे की पंक्तियों को...

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FDI की राह सरकार के लिए हुई कुछ आसान

सरकार के लिए बीमा, मल्टी ब्रांड रिटेल और मीडिया जैसे क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बढ़ाने की राह कुछ और आसान हो गई है। रिजर्व बैंक ने अपने एक अध्यय के आधार पर बीमा, मल्टी ब्रांड रिटेल और मीडिया सहित कुछ अन्य सेक्टरों में एफडीआई बढ़ाने की वकालत की है। इसमें आरबीआई ने कहा है कि भारत को अगर ग्लोबल अर्थव्यवस्था के साथ कदम मिलाकर चलना है, तो विदेशी...

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भारत में रोजगारहीन आर्थिक वृद्धि - आईएलओ की नई रिपोर्ट

जिस भारतीय अर्थव्यवस्था के बूते दक्षिण एशिया में साल 2010 तक आर्थिक-वृद्धि की रफ्तार 9 फीसदी से ज्यादा की रही और अब यानी साल 2011-12 में 7 फीसदी पर जा पहुंची है, उसके बारे में सबसे ज्यादा गौर करने लायक तथ्य क्या है ? अंतर्राष्ट्रीय श्रम-संगठन की नई रिपोर्ट ग्लोबल एम्पलॉयमेंट ट्रेन्डस् का कहना है कि बढ़ोत्तरी का यह कमाल श्रम की उत्पादकता में बढ़वार का नतीजा था ना कि...

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राजा ने लूटी रंकों की रोटी- आशीष खेतान(तहलका, हिन्दी)

 सपा की पिछली सरकार में खाद्य और आपूर्ति विभाग के मंत्री रहे राजा भैया ने जन वितरण प्रणाली में घोटाले के जरिए 100 करोड़ रुपये बनाए. वे एक बार फिर से उसी विभाग के मंत्री हैं. उनके कारनामों को आशीष खेतान उजागर कर रहे हैं  यह किसी केंद्रीय मंत्री और बड़े औद्योगिक घराने के बीच हुए अनैतिक लेन-देन की कहानी नहीं है. यह कहानी है हमारे समाज के सबसे वंचित और शोषित तबके...

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