"पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं" वाली कहावत सुनकर मैं अक्सर सोचता हूं कि पालने में नामुराद पांव ही क्यों देखे जाते हैं? शायद, इसलिए कि पांव देखने से पूत के चाल-चलन का पता चलता है। भान होता है कि पूत के पांव आगे किस ओर जाएंगे, कहां रूके-टिकेंगे और कहां फिसलेंगे। चूंकि नई सरकार और उसके मुखिया ने अभी बस सौ दिन पूरे किए हैं, सो उसके...
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ओडिशा में आधे बुजुर्ग करते हैं काम,10 फीसदी बुजुर्ग शोषण के शिकार
भुवनेश्वर:संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या फंड ने ओडिशा में वृद्धों की स्थिति नामक रिपोर्ट तैयार की है. इसमें कहा गया है कि ओडिशा के आधे बुजुर्ग आर्थिक कारणों के चलते वृद्धावस्था अवस्था में भी काम करते है. अपनी मर्जी से इसका चयन करने वालों की संख्या महज 20 फीसदी है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 10 प्रतिशत वृद्धों को शोषण का शिकार होना पडा. इनमें महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा...
More »बेलगाम महंगाई के पोषक- विकास नारायण राय
जनसत्ता 22 अगस्त, 2014 : वित्तमंत्री अरुण जेटली के अनुसार आम लोगों के लिए बवालेजान बनी महंगाई का सीधा संबंध बाजार में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति से है। भारतीय शासकों का यह जाना-माना तर्क रहा है, जो जनता को बरगलाने वाले अगले पाखंड की जमीन भी तैयार करता है। शासकों का अगला तर्क होता है कि आम लोगों की जरूरत की चीजों की आपूर्ति जमाखोरों ने रोक रखी है और...
More »बिहार में 13 जिलों के 11 लाख लोग बाढ़ की चपेट में, 582 गांव हुए जलमग्न
पटना. प्रदेश में बाढ़ की स्थिति और बिगड़ गई है। कई और तटबंधों के टूटने से हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। सरकार ने आखिर माना कि 13 जिले बाढ़ पीड़ित हैं। सोमवार को पांच और जिलों को बाढ़ग्रस्त घोषित किया गया। अब बाढ़ प्रभावित लोगों की संख्या 11 लाख पहुंच गई है। राज्य के 43 प्रखंडों के 582 गांवों में पानी फैल चुका है। सबसे खराब स्थिति नालंदा...
More »देश में वस्तुओं की तुलना में सेवाएं ज्यादा महंगी: सर्वे
नयी दिल्ली: देश में तेजी से बढती महंगाई से परेशान मध्यम वर्ग के लोगों की जेब वस्तुओं के मुकाबले शिक्षा, इलाज, परिवहन जैसी सेवाओं की महंगाई के कारण ज्यादा ढीली हो रही है. उद्योग मंडल एसोचैम के एक अध्ययन के मुताबिक बुनियादी सेवाओं के मूल्यों में सालाना आधार पर कम-से-कम 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. जिससे लागत वृद्धि के मामले में वस्तुओं को सेवाओं से पीछे छोड दिया है. अध्ययन...
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