छत्तीसगढ़ में प्राकृतिक संसाधनों का अकूत भंडार है, लेकिन ऐसा लगता है कि इसका फायदा सिर्फ उन्हीं लोगों को हो रहा है जिन पर मुख्यमंत्री रमन सिंह की कृपादृष्टि है. आशीष खेतान की रिपोर्ट. साल 2011 की बात है. दीवाली का मौका था. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में चर्चित अखबार ‘पत्रिका’ के स्थानीय संपादक गिरिराज शर्मा के पास एक विशेष उपहार पहुंचा. राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह के कार्यालय की तरफ से...
More »SEARCH RESULT
जन्म देना भी यहां मौत से खेलना है ।।पुष्यमित्र।।
झारखंड ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के मिशन डायरेक्टर अबूबकर सिद्दीकी से जब झारखंड की सेहत का हाल पूछा जाता है तो वे भवनों का अभाव और मैन पावर की कमी का रोना लेकर बैठ जाते हैं. निश्चित तौर पर गांवों और प्रखंड मुख्यालयों में बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाओं का न होना एक बड़ी समस्या है जो झारखंड के ग्रामीणों को सरकारी चिकित्सा व्यवस्था से दूर करते हैं और एक बड़ी आबादी ओझा और...
More »पुलिस के आंकड़ों ने खोला राज, हर तीसरे दिन होती है एक मौत क्योंकि...
नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस के पास उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक राजधानी में हर तीसरे दिन दहेज की खातिर एक की मौत हो जाती है। गृह मंत्रालय ने पिछले सत्र में संसद में दिल्ली पुलिस के आंकड़े पेश किए, जिसके मुताबिक बीते चार साल 2008, 2009, 2010, 2011 में दहेज के लिए मौत की धारा के तहत 689 लोगों को गिरफ्तार किया, इनमें से महज 207 के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल हो सका और...
More »बुखार का कहर: 7 साल, 5000 मौत, सुधार के सिर्फ दावे- अजयेंद्र राजन
लखनऊ. जापानी इंसेफ्लाइटिस (जेई) और एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) पिछले करीब एक दशक से पूर्वी उत्तर प्रदेश में काल बनकर कहर बरपा रहा है। पिछले सात सालों में इसने पूर्वांचल के करीब 5000 लोगों की जान ले ली है। पिछले आठ महीनों में ही करीब 292 लोग मौत के शिकार हो चुके हैं। इसी क्रम में गुरुवार को गोरखपुर के बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज में दिमागी बुखार से पीडि़त पांच बच्चों...
More »मीडिया स्टडीज ग्रुप का सरकारी हिंदी वेबसाइट का सर्वेक्षण
मीडिया स्टडीज ग्रुप का सरकारी हिंदी वेबसाइट का सर्वेक्षण सरकार की वेबसाइटों पर हिंदी की घोर उपेक्षा दिखाई देती है। हिंदी को लेकर भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालय, विभाग व संस्थान के साथ संसद की वेबसाइटों के एक सर्वेक्षण से यह आभास मिलता है कि सरकार को हिंदी की कतई परवाह नहीं हैं। सर्वेक्षण में शामिल वेबसाइटों के आधार पर यह दावा किया जा सकता है कि हिंदी भाषियों के एक भी मुकम्मल सरकारी वेबसाइट...
More »