बढ़ती महंगाई एक बार फिर चर्चा में है। वरना तो महंगाई का जिक्र चुनावी सभाओं या नीति आयोग जैसी संस्थाओं की गंभीर बैठकों में होता है। अर्थशास्त्री इसे मुद्रास्फीति से जोड़ते हैं तो किसान-दुकानदार 'मुनाफाखोरी" से। महंगाई पर चर्चा क्या सिर्फ आंकड़ों की कलाबाजी है या फिर यह हकीकत से भी जुड़ी है? सरकार का दावा है कि मुद्रास्फीति की दर दो अंकों से गिरकर एक अंक की हो गई...
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शासन की भटकी प्राथमिकताएं-- उर्मिलेश
अपनी हाल की पूर्वी उत्तर प्रदेश यात्रा में मुझे बार-बार इस बात का एहसास होता रहा कि किस तरह हमने अपने वास्तविक मसलों को छोड़ कर अनावश्यक सियासी विवादों को प्राथमिकता में शुमार कर लिया है! यह सिर्फ किसी एक व्यक्ति, एक दल या एक सरकार की बात नहीं है, ऐसा लगता है मानो यह हमारा राष्ट्रीय स्वभाव बन गया है. बड़े राजनीतिक दलों के बड़े पदाधिकारी भी एक-दूसरे को...
More »आर्थिक विकास के लिए नीतियां जरूरी
वैश्विक होती अर्थव्यवस्था के दौर में समान विकास की अवधारणा मजबूत हो रही है. नीति-निर्माता से लेकर आर्थिक विशेषज्ञ इस बात पर एकमत हैं कि विकास दर जरूरी है, लेकिन बिना आर्थिक असमानता को दूर किये विकास अधूरा है. इस व्यापक सोच के साथ रांची में ‘इंटरनेशनल काॅन्फ्रेस ऑन इन्क्लूसिव एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट इन झारखंड: चैलेंज एंड अपॉर्चुनिटी' विषय पर तीन दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है. पूर्वी भारत...
More »उत्तरी छत्तीसगढ़ में बारिश की कमी, बोनी का काम पिछड़ा
रायपुर। छत्तीसगढ़ में औसत बारिश होने के बाद भी कई तहसीलों में सूखे की साया मंडरा रही है। उत्तरी छत्तीसगढ़ में खरीफ फसल की आधी बोनी भी नहीं हुई है। जहां बोनी हुई है, वहां भी कम बारिश के कारण फसल चौपट होने की कगार पर है। अब किसानों को धान की रोपाई के लिए और अधिक बारिश का इंतजार है। कृषि विभाग ने किसानों को पंप के जरिए नदी-नालों,...
More »भारत का आइआइटी स्वप्न-- संदीप मानुधने
एक विशाल देश भारत, जिसकी एक अद्भुत प्राचीन संस्कृति रही है, और जिसने तमाम चुनौतियों के बावजूद सदैव अच्छी व गहन शिक्षा को समाज का एक विशिष्ट पहलू बनाये रखा है, वह आज एक दोराहे पर खड़ा है. हमें एक नये तकनीकी विश्व में अपनी ठोस जगह बनानी है, हमारे संसाधन सीमित हैं और हमारे पास वक्त भी कम है. आधुनिक विश्व अर्थव्यवस्था के सबसे प्रबल और शक्तिशाली देशों...
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