नितिन प्रधान, नई दिल्ली। अपने भविष्य और सामाजिक सुरक्षा के सरोकारों को लेकर शहरी महिलाओं की अपेक्षा ग्रामीण महिलाएं ज्यादा सजग और गंभीर हैं। सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी तीन स्कीमों के आंकड़े तो कम से कम यही जाहिर कर रहे हैं। इन तीनों स्कीमों में पंजीकरण की संख्या को देखें तो शहरी महिलाओं की तुलना में ग्रामीण महिलाएं आगे रही हैं। प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई), प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना...
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नया कारोबार है 'कंपनियों की टैक्स माफ़ी'-- पी साईनाथ
केंद्र सरकार 2006-07 से हर साल बजट में इस बात का ज़िक्र करती है कि उसने कंपनियों को टैक्स में कितनी छूट दी और आयकर दाताओं को कितनी छूट मिली. मशहूर लेखक और वरिष्ठ पत्रकार पी साईनाथ का कहना है कि सरकार ने पिछले नौ सालों में कंपनियों को 365 खरब रुपए की टैक्स छूट दी है. इसका एक बड़ा हिस्सा तो हीरे और सोने जैसी चीज़ों पर टैक्स छूट में दिया...
More »गांव और गरीब की चिंता कब?- अश्विनी महाजन
भारत सरकार द्वारा वर्ष 2011 में हुई जनगणना के आर्थिक, सामाजिक गणना के आंकड़े हाल ही में प्रकाशित किये गये हैं. ये आंकड़े भारत में गरीबों की वर्तमान दुर्दशा की कहानी बयान कर रहे हैं. चिंता का विषय केवल यह नहीं है कि गरीबों की हालत खराब है, बल्कि वह पहले से तेज गति से बदतर होती जा रही है. गौरतलब है कि अभी ग्रामीण क्षेत्रों के लिए ही ये...
More »हम जाति का ज़हर फिर क्यों पिएं?- वेद प्रताप वैदिक
मुझे आश्चर्य है कि भाजपा सरकार के मंत्रिमंडल ने ऐसा राष्ट्र-विरोधी निर्णय कैसे कर लिया? जातीय जनगणना को कांग्रेस सरकार ने अधबीच में बंद कर दिया था, लेकिन इस गणना के जो भी अधकचरे आंकड़े इकट्ठे हुए हैं, सरकार उन्हें प्रकट करने के लिए तैयार हो गई है। वह इन्हें अगले साल तक प्रकाशित करेगी। तब तक राज्य-सरकारों की रपट भी उसके पास आ जाएगी और जो आंकड़े उसके पास...
More »...कुछ ज्यादा ही पीछे छोड़ दिया जंगल को हमने-- मुकेश केजरीवाल
मुकेश केजरीवाल, नई दिल्ली। जंगलों को काट कर शुरू किए "तरक्की" के सफर में हम इतना आगे बढ़ गए हैं कि अब इनकी कामचलाऊ मौजूदगी कायम करने में भी सांसें फूल रही हैं। अपने ही लक्ष्य के मुताबिक हमें अब तक देशभर में कम से कम 33 फीसद क्षेत्र को हरियाली से भर देना था, लेकिन हम सिर्फ 24 फीसद वन क्षेत्र के साथ इस मुकाम से बेहद दूर खड़े...
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