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पत्रकारिता और नैतिकता- मृणाल पांडे

कई दूसरे शब्दों की तरह पिछले सालों में नैतिकता शब्द का भी घोर अवमूल्यन हुआ है. आज किसी भी काम के साथ इस शब्द के जुड़ते ही उससे एक पाखंडी बड़बोले उपदेशक के नक्की प्रवचन की ध्वनि कानों में रेत की तरह किरकिराने लगती है. शायद इसी वजह से जो नेकनीयत पत्रकार पेशे को समर्पित हैं, वे भी सच्चे तथा फेक, संदर्भयुक्त या संदर्भ से काटे गये समाचारों के संकलन...

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एक सार्वजनिक बुद्धिजीवी की दास्तान-- रामचंद्र गुहा

एडवर्ड सईद हमारी पीढ़ी के भारतीय बुद्धिजीवियों के नायक रहे हैं। एक युवा वामपंथी के नाते पूर्व पर लिखने वाले पश्चिमी विद्वानों पर उनके हमले हमें ऊर्जा देते थे। तीसरी दुनिया के देशों का समर्थक होने के नाते इजरायली अपराधों की निंदा और फलस्तीनियों के प्रति एकजुटता का उनका पक्ष हमें प्रभावित करता था। मेरे कुछ दोस्त सईद के प्रति आजीवन समर्पित रहे, हालांकि मेरा मोहभंग होने लगा था। सईद...

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'अर्बन नक्सल' कौन है, कहां है-- रविभूषण

'अर्बन नक्सल' एक गढ़ा हुआ राजनीतिक पद है. इसका अर्थ उन शहरी पत्रकारों, कवियों, लेखकों, बुद्धिजीवियों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और संस्कृतिकर्मियों से है, जो नक्सलवाद, माओवाद के समर्थक हैं. इस पद की वास्तविकता और इसके पीछे सत्ता-व्यवस्था और सरकारों की नीतियों पर इसके साथ कम विचार किया गया है. फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री की पुस्तक 'अर्बन नक्सल्स : द मेकिंग ऑफ बुद्धा इन ए ट्रैफिक जाम' (अंग्रेजी में गरुण प्रकाशन से...

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भारत में धर्म और जाति के नाम पर ऑनलाइन ट्रोलिंग सबसे ज्यादा- नई रिपोर्ट

डिजिटल होते इंडिया में बांग्लादेश या पाकिस्तान के मुकाबले ऑनलाइन उत्पीड़न का शिकार होने वाले लोगों की तादाद ज्यादा है. साल 2017 में इंटरनेट की आभासी दुनिया में मौजूद 15-65 साल के हर पांच में से एक भारतीय को ऑनलाइन उत्पीड़न का सामना करना पड़ा जबकि पाकिस्तान और बांग्लादेश में प्रत्येक 100 इंटरनेट उपभोक्ताओं में 12 उपभोक्ता ऑनलाइन उत्पीड़न के शिकार हुए. यह जानकारी सूचना और प्रौद्योगिकी से संबंधित नीतियों तथा नियमन...

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जड़ों से कटा आधारहीन वर्ग--पवन के वर्मा

एक ब्लॉगिंग साइट को दिये एक इंटरव्यू में मैंने यह कहा कि लुटियन (नयी दिल्ली का अंग्रेजों द्वारा निर्मित हिस्सा) का उच्च वर्ग चतुर्दिक जल से घिरे द्वीपों की तरह जड़ एवं आधार से रहित है, जिसकी पहचान सिर्फ और सिर्फ अंग्रेजी ही है. इसके पक्ष और विपक्ष में बड़ी तादाद में टिप्पणियां आयीं. इसलिए मैंने यह महसूस किया कि मुझे अपनी बात का आशय कुछ और विस्तार से प्रकट...

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