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कृषि में बेहतर होता बिहार-- के सी त्यागी

पिछले लोकसभा चुनाव से अब तक 10 राज्यों में भाजपा व कांग्रेस की सरकारों द्वारा किसानों के 2,33,069 करोड़ रुपये की कर्जमाफी की घोषणा की जा चुकी है. हाल ही में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में की गयी कर्जमाफी के बाद तेज बहस भी हुई कि क्या कर्जमाफी मौजूदा किसानी संकट का हल है? साल 2018 के दसवें माह तक कुल 10.5 लाख करोड़ रुपये का कृषि कर्ज बकाया...

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बंगालः किसानों पर ‘ममता’, जीवन बीमा और वित्तीय सहायता देगी सरकार

कोलकाताः पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नए साल से पहले किसानों को लुभाने के लिए सोमवार को यहां राज्य के किसानों के लिए 5,000 रुपये प्रति एकड़ की वार्षिक वित्तीय सहायता की घोषणा की. बनर्जी ने कृषक बंधु नामक एक राज्य-प्रायोजित योजना के तहत 18 से 60 वर्ष उम्र के राज्य के हर किसान के लिए दो लाख रुपये की जीवन बीमा की भी घोषणा की. यह योजना...

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किसानों की नाराजगी का नतीजा-- नीरजा चौधरी

पांच राज्यों के चुनावी नतीजों ने किसानों को फिर से राजनीति के केंद्र में ला दिया है। संदेश साफ है कि खेती-किसानी के हित में हमारे नेताओं को अब गंभीरता से सोचना ही होगा। जनादेश बता रहा है कि लोग अब अपनी जरूरतों को अहमियत देने लगे हैं। खासतौर से नौकरी और आमदनी उनके लिए महत्वपूर्ण सवाल बनकर उभरे हैं। इसीलिए चुनावों में उन्होंने अन्य सभी ‘इमोशनल' मुद्दों को किनारे...

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.....ताकि चुनाव-चर्चा के बीच आप भुखमरी से हो रही मौतों को ना भूल जायें !

झारखंड में बीते 30 दिनों में कम से कम दो जन भुखमरी के कारण मौत की चपेट में आये हैं.  भोजन का अधिकार अभियान ने यह जानकारी एक तथ्यान्वेषी दल की रिपोर्ट के आधार पर दी है.   रिपोर्ट में राज्य के दुमका जिले में जामा प्रखंड के महुआटांड गांव के कलेश्वर सोरेन और देवघर जिले में  मार्गोमंडा प्रखंड के मोती यादव की मौत के पीछे भुखमरी को एक कारण के...

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बदल रही है परहिया समुदाय की जिंदगी

लातेहार जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर औरंगा नदी के किनारे स्थित है उचुवाबाल. यह मनिका प्रखंड की रॉकी कलां पंचायत के लंका गांव का टोला है. इस टोले में परहिया समुदाय के 80 परिवार हैं. उनकी जीविका का एकमात्र जरिया हैं जंगल की उपज. इन वनोत्पादों को एकत्र करना और उन्हें बाजार में बेचना यही उनके आर्थिक जीवन का आधार है. इसके अलावा उच्च जाति के लोगाों के...

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