३८१ ग्राम पंचायत, लगभग १६०० गांव और डेढ लाख से भी अधिक ग्रामीणों से रूबरू होते हुए भीलवाड़ा जिले में १ अक्तूबर से प्रारंभ हुआ सामाजिक-अंकेक्षण अभियान गुजरे १२ अक्तूबर को सामाप्त हुआ तो नरेगा और सूचना के अधिकार से जुड़ी कई सच्चाइयों से पर्दा उठा। सामाजिक अंकेक्षण के लिए कुल १३५ टोलियां निकली थीं और हर टोली में थे १५-१५ प्रशिक्षित सदस्य। ३८१ ग्राम पंचायतों की पदयात्रा के बाद...
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सामाजिक अंकेक्षण ने खोली भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई की राह
राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में सिलसिलेवार सामाजिक अंकेक्षण से नरेगा के कामों में गंभीर अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। सामाजिक अंकेक्षण की एक परिणति कई सरकारी अधिकारियों और पंचायत प्रतिनिधियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराने में हुई है । सामाजिक अंकेक्षण से नरेगा के अंतर्गत काम करने वाले मजदूरों को करोड़ों रुपये की बकाया मजदूरी का भुगतान भी हासिल हो सका है।(देखें कृपया नीचे दी हुई लिंक)।नरेगा के काम में...
More »कर्ज का फंदा
राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण की रिपोर्ट [inside]Key Indicators of Situation Assessment Survey of Agricultural Households in India (January, 2013- December, 2013)[/inside] के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य़: http://www.im4change.org/siteadmin/tinymce//uploaded/Situation%20Assessment%20Survey%20of%20Agricultural%20Households%20in%20NSS%2070th%20Round.pdf --- तकरीबन साढ़े चार हजार गांवों के सर्वेक्षण पर आधारित राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के 70वें दौर की इस रिपोर्ट के अनुसार आंध्रप्रदेश में कर्ज में डूबे किसान-परिवारों की संख्या सबसे ज्यादा((92.9%) है। तेलंगाना के 89.1% किसान परिवार कर्ज में डूबे हैं जबकि तमिलनाडु में कर्ज के बोझ...
More »शिक्षा
खास बात • साल १९९३-९४ में ग्रामीण इलाकों में पुरुष साक्षरता की दर(राष्ट्रीय स्तर) ६३ फीसदी थी जो साल १९९९-२००० में बढ़कर ६८ फीसदी हो गई।* • साल १९९३-९४ में ग्रामीण इलाकों में महिला साक्षरता की दर(राष्ट्रीय स्तर) ३६ फीसदी थी जो साल १९९९-२००० में बढ़कर ४३ फीसदी हो गई।* • भारत के ग्रामीण अंचल में अनुसूचित जनजाति के तबके के लोगों में साक्षरता दर सबसे कम(४२ फीसदी) पायी गई है। इसके तुरंत बाद अनुसूचित...
More »पलायन (माइग्रेशन)
खास बात • किसी प्रांत से उसी प्रांत में और किसी एक प्रांत से दूसरे प्रांत में पलायन करने वालों की संख्या पिछले एक दशक में ९ करोड़ ८० लाख तक जा पहुंची है। इसमें ६ करोड़ १० लाख लोगों ने ग्रामीण से ग्रामीण इलाकों में और ३ करोड़ ६० लाख लोगों ने गावों से शहरों की ओर पलायन किया। # • पिछले एक दशक को आधार मानकर अगर इस बात की गणना करें कि किसी वासस्थान को छोड़कर कितने लोग दूसरी जगह रहने...
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