हरियाणा में पंचायत चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। इस उम्मीद में उम्मीदवारों की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता तय की गई है कि इससे पढे़-लिखे लोग ही चुनाव में उतरेंगे और जन-प्रतिनिधि बनेंगे। इस नियम ने सरपंची की चाह रखने वाले कई लोगों के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है। हर जगह तरह-तरह से इसके तोड़ निकाले जा रहे हैं। इसके चलते समाज में ऐसे बदलाव होते भी दिख रहे हैं,...
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एक-समान शिक्षा प्रणाली से होगा बेहतर समाज का निर्माण
बेहतर देश के निर्माण के लिए बेहतर समाज का होना पहली शर्त है. किसी भी देश का सतत विकास तभी मुमकिन है, जब वहां के विभिन्न समाज और समुदायों के बीच सौहार्द, शांति व भाईचारा हो. बीता साल 2015 इस लिहाज से कुछ अच्छी यादों के साथ-साथ कई कड़वी यादें भी छोड़ गया है. हाल के दशकों में तेज आर्थिक विकास के बावजूद हमारे समाज में व्याप्त कुछ...
More »वक्त के पन्नों पर जो दर्ज कर गये अपनी अमिट छाप
नियम यह है विधाता का / सभी आकर चले जाते / मगर कुछ लोग ऐसे हैं / जो जाकर भी नहीं जाते। न सब धनवान होते हैं / न सब भगवान होते हैं/ दयालु, लोकप्रिय, सतपाल / भले इनसान होते हैं।। ... और ऐसा कोई इनसान जब वक्त के पन्नों पर अपनी अमिट छाप छोड़ कर हमारे बीच से विदा होता है, तो यह हम सबका साझा फर्ज बनता...
More »रोजगारपरक हो शिक्षा प्रणाली-- मोनिका शर्मा
अवसाद और तनाव की सौगात देने वाली हमारी शिक्षा व्यवस्था अब वाकई चिंतनीय हालात पैदा कर रही है। इस बाबत हाल ही में संसद में सरकार द्वारा पेश किये गए आंकड़े डराने वाले हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक देश में हर साल 8 हजार से ज्यादा छात्र आत्महत्या कर लेते हैं। इतना ही नहीं, सफलता और आगे बढ़ने की ललक और दबाव इतना है कि मनपसंद नौकरी या पेशा न...
More »मौलिक अधिकार से वंचना क्यों?- पवन के वर्मा
मेरी दृष्टि में जान-बूझ कर बड़ी चालाकी से भारत के संविधान का उल्लंघन किया जा रहा है. संविधान सभा में लंबी बहसों के बाद हमारे राष्ट्र-निर्माताओं ने भारत को सार्वभौमिक व्यस्क मताधिकार देने का निर्णय किया था. इसका अर्थ यह है कि 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी भारतीय नागरिक मतदान के अधिकार का प्रयोग कर सकते हैं. इसी तरह यह अधिकार भी दिया गया कि योग्य आयु का...
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