अभी देश से मानसून बहुत दूर है और भारत का बड़ा हिस्सा सूखे, पानी की कमी व पलायन से जूझ रहा है। बुंदेलखंड के तो सैकड़ों गांव वीरान होने शुरू भी हो गए हैं। एक सरकारी आंकड़े के मुताबिक, देश के लगभग सभी हिस्सों में बड़े जल संचयन स्थलों (जलाशयों) में पिछले साल की तुलना में कम पानी बचा है। यह सवाल हमारे देश में लगभग हर तीसरे साल खड़ा...
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किसानों की बदहाली दूर करने के लिए...- शुभ्रता मिश्रा
हिन्दुओं की एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार पृथ्वी पर लगातार सौ वर्षों तक वर्षा नहीं हुई थी। अन्न-जल के अभाव में भूख से व्याकुल होकर समस्त प्राणी मरने लगे थे और इस कारण चारों ओर हाहाकार मच गया था। उस समय समस्त मुनियों ने मिलकर देवी भगवती की उपासना की एवम् दुर्गा जी ने शाकम्भरी नाम से स्त्री रूप में अवतार लिया और उनकी कृपा से वर्षा हुई।...
More »इस साल फल और शाक-सब्जियों का उत्पादन अनाज से ज्यादा..!
उम्मीद है कि इस बार भी बागवानी के क्षेत्र में उत्पादन खाद्यान्न उत्पादन से ज्यादा रहेगा. यह चलन बीते पांच सालों से जारी है. बहरहाल, 2014-15 और 2015-16 के मुकाबले इस फसली वर्ष में वानिकी-उत्पाद में बड़ी मामूली वृद्धि होने का पूर्वानुमान है. इन दोनों सालों में देश के ज्यादातर राज्यों ने सूखे का सामना किया था. इस साल 2014-15 के मुकाबले वानिकी-उत्पादन में 2.2 फीसद और 2015-15 की...
More »छत्तीसगढ़ में हो सकेगी मखाने की खेती, ले पाएंगे दो फसल
रायपुर, संदीप तिवारी। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने पहली बार धमतरी के कृषि विज्ञान केन्द्र बोड़रा संबलपुर में मखाने (काला हीरा) की खेती का सफल परीक्षण किया है। इसी के साथ छत्तीसगढ़ मखाने की खेती करने वाला देश का सातवां राज्य बन गया है। यहां के कृषि वैज्ञानिक मखाने की स्वर्ण वैदेही किस्म दरभंगा से लेकर आए थे। खेती के लिए जलवायु अनुकूल होने से रबी और खरीफ दोनों सीजन में...
More »मरती हुई झीलों को मिल रही जिंदगी--
ऐसे कई उदाहरण हैं, जब एक अकेले इनसान ने अपनी कोशिशों से अपने आसपास के सूरत-ए-हाल को बदल डाला है. आज की स्टोरी में हम आपको एक ऐसे ही व्यक्ति के काम के बारे में बता रहे हैं, जिसने अपने अथक प्रयास से झीलों को पुनर्जीवन दे दिया. क्या हम सिर्फ अपने लिए जवाबदेह हैं, या अपने परिवार के लिए या अपने समुदाय के लिए? तो फिर धरती, पहाड़ों, नदियों...
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