मैं महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में कृषि कार्य करता हूं. वहां 1975 से आज तक मैं खेती कर रहा हूं. 1960 के बाद जो खेती में व्यवस्थाएं प्रारंभ हुईं, वहीं से मैंने शुरु आत की थी. अब तक मुझे कृषि विज्ञान दो स्वरूपों में दिखा है. जब मैंने खेती प्रारंभ की तो उस समय परावलंबन का विज्ञान था. उस वक्त मैंने रासायनिक खाद, जहरीली दवाईयां और बाहर से बीज लाकर खेती...
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प्राकृतिक खेती से पटखनी खाती आधुनिक खेती- सुभाष शर्मा
मैं महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में कृषि कार्य करता हूं. वहां 1975 से आज तक मैं खेती कर रहा हूं. 1960 के बाद जो खेती में व्यवस्थाएं प्रारंभ हुईं, वहीं से मैंने शुरु आत की थी. अब तक मुझे कृषि विज्ञान दो स्वरूपों में दिखा है. जब मैंने खेती प्रारंभ की तो उस समय परावलंबन का विज्ञान था. उस वक्त मैंने रासायनिक खाद, जहरीली दवाईयां और बाहर से बीज लाकर खेती...
More »अब छोटे गांव हैं बड़ा बाजार
खपरैल व को-पक्के मकान वाले गांव आज ब.डे बाजार बन गये हैं. तमाम देसी-विदेशी कंपनियां अब अपने उत्पादों की बिक्री व नये ग्राहकों की तलाश में गांव की ओर रुख कर रही हैं. एक अध्ययन के अनुसार, वर्तमान में देश की दो तिहाई कंपनियां गांव में अपने व्यापार को विस्तार देने की कोशिश में जुटी हैं. इनमें छोटे घरेलू उत्पाद बनाने वाली कंपनियों से लेकर दोपहिया व चार पहिया वाहन बनाने...
More »गोवा में किसान बने उद्यमी, मॉल को दे रहे टक्कर
पणजी (भाषा)। गोवा में धान की खेती की जमीन सड़क बनाने के लिए अधिगृहीत किए जाने के बाद यहां के किसानों को समझ में नहीं आ रहा था कि वे जीविकोपार्जन के लिए क्या करें। लेकिन समय बीतते किसानों ने बाकी बची जमीन पर सब्जी खेती करनी शुरू कर दी और इसे खुद ही बेचना शुरू कर दिया और धीरे धीरे उनका यह व्यवसाय रंग लाने लगा। आज यहां के किसान...
More »गरीबों के मुंह पर तमाचा है शीला का बयान
जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। भाजपा ने 600 रुपये प्रति माह में पांच लोगों के परिवार की दाल-चावल-आटे की जरूरत पूरी होने के बयान पर दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की जमकर खिंचाई की है। हालांकि, शीला ने कहा है कि उनके बयान को गलत तरीके से लिया गया है और जो योजना की आलोचना कर रहे हैं, वे पूरी अवधारणा को सही तरीके से समझ नहीं पा रहे हैं। ...
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