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कोरोनावायरस से निपटने के लिए देश में नई राष्ट्रीय योजना की जरुरत नहीं: सुप्रीम कोर्ट

-डाउन टू अर्थ, सुप्रीम कोर्ट ने 18 अगस्त, 2020 को दिए अपने आदेश में साफ कर दिया है कि देश में कोरोनावायरस से निपटने के लिए अलग से नई राष्ट्रीय नीति बनाने की जरुरत नहीं है। कोर्ट इस मामले में सरकार को नई राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना बनाने और उसे लागु करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता। कोर्ट ने कहा है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत पहले ही...

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किस हाल में हैं असम के डिटेंशन कैंपों में बंद संदिग्ध नागरिक?

-सत्यहिंदी, पिछले साल असम के डिटेंशन कैंप उस समय चर्चा में आए थे जब 23 दिसंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दावा किया था कि भारत में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं है। उन्होंने इसे अफ़वाह बताया था। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, ‘सिर्फ कांग्रेस और अर्बन नक्सलियों द्वारा उड़ाई गई डिटेन्शन सेन्टर वाली अफ़वाहें सरासर झूठ है, बद-इरादे वाली है, देश को तबाह करने के नापाक इरादों...

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क्यों प्रशांत भूषण पर सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई कई पूर्व जजों को भी सही नहीं लगती है

-सत्याग्रह, किस्सा 1987 का है. पीटर राइट की आत्मकथा ‘स्पाइकैचर: द कैंडिड ऑटोबायोग्राफी ऑफ अ सीनियर इंटेलिजेंस ऑफिसर’ ने छपते ही धूम मचा दी थी. राइट ब्रिटेन की खुफिया सेवा एमआई5 के पूर्व सहायक निदेशक थे. ऑस्ट्रेलिया में छपी उनकी इस आत्मकथा में स्वेज संकट के समय एमआई5 द्वारा मिस्र के राष्ट्रपति जमाल अब्दुल नासिर की हत्या की साजिश जैसे कई सनसनीखेज दावे किए गए थे. स्वाभाविक ही था कि इंग्लैंड...

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नया हिंदुस्तान: जहां बोलना मना है

-न्यूजलॉन्ड्री, अगस्त 2020 की एक दोपहर. रात भर की बारिश के बाद दोपहर की गर्मी की बजाय हवा में उमस है. दिल्ली स्थित प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया के गेट पर लगे जामुन के पेड़ के आसपास पके जामुन बिखरे हुए हैं. कोविड-19 के आगमन के बाद से बंद पड़े प्रेस क्लब में छह महीने बाद कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई. यह प्रेस कॉन्फ्रेंस उत्तर-पूर्वी दिल्ली में कारवां पत्रिका के तीन पत्रकारों पर...

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प्रशांत भूषण केसः सुप्रीम कोर्ट की अवमानना और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर बहस

--बीबीसी,  देश की सबसे बड़ी अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट ने जानेमाने वकील प्रशांत भूषण के दो विवादित ट्वीट्स को लेकर उन्हें अवमानना का दोषी माना है. कंटेम्ट ऑफ़ कोर्ट्स ऐक्ट, 1971 के तहत प्रशांत भूषण को छह महीने तक की जेल की सज़ा जुर्माने के साथ या इसके बगैर भी हो सकती है. इसी क़ानून में ये भी प्रावधान है कि अभियुक्त के माफ़ी मांगने पर अदालत चाहे तो उसे माफ़ कर सकती...

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