आज विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस है. सूचनाओं के इस युग में इस दिन का खास महत्व है. इस दिवस की शुरुआत भले ही 1993 से हुई हो और संयुक्त राष्ट्र ने इस दिन को प्रेस स्वतंत्रता दिवस के रूप में स्वीकार किया हो, लेकिन प्रेस की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आजादी के महत्व को इससे बहुत पहले से ही महसूस किया जाता रहा है. तभी तो महात्मा गांधी ने कहा...
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मीडिया की आजादी के सवाल-- एम वेंकैया नायडू
जानवर और इंसान में यही फर्क है कि इंसान कुछ नियमों से संचालित होता है, जो व्यवस्थित जीवन की जरूरी शर्त है, अन्यथा तो एक जंगल राज होगा, जहां बलशाली ही राज करता है। व्यवस्थित जीवन का मतलब है, एक तरह का संवाद संतुलन, जो किसी एक घटक को किसी भी स्तर पर निरंकुश होने का अधिकार नहीं देता। आजादी कैसी भी हो, आत्मसंयम मांगती है। भारतीय संविधान कुछ मौलिक...
More »चंपारण से निकला रास्ता- राजू पांडेय
चंपारण सत्याग्रह नील की खेती करने वाले किसानों के अधिकारों के लिए संगठित संघर्ष के रूप में विख्यात है। इसके एक सदी बाद भी देश का किसान बदहाल है। 2010-11 के आंकड़ों के अनुसार, देश के 67.04 प्रतिशत किसान परिवार सीमांत हैं जबकि 17.93 प्रतिशत कृषक परिवार लघु की श्रेणी में आते हैं। सरकार ने संसद को राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण द्वारा जुलाई 2012 से जून 2013 के संदर्भ में संकलित...
More »झूठी खबरें तो रोकनी ही होंगी-- नवीन जोशी
टीवी के पर्दे पर किसी क्रीम से चुटकियों में कमर दर्द या मुहांसे गायब होते हम रोज देखते हैं. हम जानते हैं कि ऐसा वास्तव में नहीं होता. यह मिथ्या या कह लीजिये अतिरंजित प्रचार है, विज्ञापन है. लेकिन समाचारों पर हम भरोसा करते हैं. अगर समाचार असत्य हो, मुनाफे के वास्ते या किसी की लोकप्रिय छवि बनाने अथवा बिगाड़ने के लिए मिथ्या प्रचार को समाचार का रूप दिया जाये...
More »महिला सशक्तीकरण की बाधित राह-- ज्योति सिडाना
दहला देने वाली इन कुछ घटनाओं पर नजर डालें। चार मार्च, 2018 को बिहार के भोजपुर में दुकान पर सामान लेने गई चार साल की बच्ची के साथ एक युवक ने दुष्कर्म कर उसे मारने की धमकी दी। सात मार्च को कोलकाता में कूड़ा बीनने वाली महिला की तीन साल की बच्ची से दुष्कर्म किया। एक और घटना में सात और दस साल की दो बहनें ट्यूशन से लौट कर...
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