बढ़ेगा मांग-आपूर्ति का अंतर - वर्तमान नियामकीय, आर्थिक और राजनीतिक हालातों के चलते अगले पांच सालों के दौरान मांग की तुलना में घरों की आपूर्ति में व्यापक अंतर देखने को मिल सकता है। आठ प्रमुख शहरों में यह अंतर ४५ फीसदी तक होने का अनुमान है। जहां एक ओर आने वाले पांच सालों के दौरान देश में आशियाने की जोरदार मांग देखने को मिलेगी वहीं दूसरी ओर संकेत है कि तमाम नियामकीय और आर्थिक...
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फिर सवालों के बीच 'बालको'- प्रियंका कौशल
छत्तीसगढ़ में उद्योग सारे नियम कायदे ताक पर रखकर मनमानी करने में लगे हुए हैं. इसका ताजा उदाहरण रायगढ़ के धरमजयगढ़ इलाके के तीन गांव रुकुंगा, बायसी और तराईमार में देखने में आया है. यहां भारत एल्युमिनियम कंपनी (बालको) ने ग्रामीणों के विरोध के बावजूद ग्राम सभा में भूमि व्यापवर्तन (डायवर्शन) का प्रस्ताव पास करवा लिया. प्रियंका कौशल की रिपोर्ट. दरअसल धरमजयगढ़ में आने वाला दुर्गापुर तराईमार कोल ब्लॉक बालको को...
More »भारतीय लोकोपकार
“रिवीलिंग इंडियन फिलैंथ्रोपी” पढ़ने के बाद, फ्रांसेस्को ओबिनो का सवाल है कि क्या भारत में लोकोपकार(फिलैंथ्रोपी) समतामूलक तथा टिकाऊ विकास में मददगार हो सकता है । भारत में घरेलू लोकोपकार की बढ़ती हुई क्षमता आशा जगाती है। भारतीय करोड़पतियों की संख्या 2012 में एक लाख तिरपन हजार (यूएस डॉलर के आधार पर) थी और अनुमानों के मुताबिक साल 2017 तक यह संख्या दो लाख बयालीस हजार तक पहुंच जायेगी जो अपने...
More »वर्ष 2050 तक वैश्विक आबादी हो जाएगी 9. 7 अरब : अध्ययन
पेरिस। दुनिया की आबादी अभी 7.1 अरब है जो वर्ष 2050 में बढ़ कर 9.7 अरब हो जाएगी और भारत चीन को पीछे छोड़ कर सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश बन जाएगा। फ्रांस के ‘‘फ्रेंच इन्स्टीट्यूट ऑफ डेमोग्राफिक स्टडीज’’ (आईएनईडी) की एक द्विवार्षिक रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि इस सदी के अंत तक पृथ्वी में लोगों की संख्या 10 से 11 अरब तक होगी। इससे पहले, जून में संयुक्त राष्ट्र के...
More »खाद्य कानून की सफलता उत्पादन बढ़ाने पर निर्भर करती है: शरद पवार
नई दिल्ली। मंत्री शरद पवार ने आज इस बात से इन्कार किया कि खाद्य सुरक्षा कानून को लेकर उनकी कोई आपत्ति है। पर उन्होंने कहा कि देश में अनाज का उत्पादन बढा कर दुनिया के इस सबसे बड़े सामाजिक कल्याण कार्यक्रम को सफल बनाया जाना चाहिए न कि अनाज का आयात कर के। उन्होंने कहा कि चूंकि खाद्य सब्सिडी पर खर्च प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष 1,000 रूपए तक पहुंच गया है...
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