नई दिल्ली, ब्यूरो। निजी क्षेत्र में काम करने वाले 92 फीसद कर्मचारी अगर समय रहते नहीं चेते तो उन्हे बेहद तनावपूर्ण व आर्थिक तंगी से जूझते बुढ़ापे के लिए तैयार रहना चाहिए। देश में बेहतर पेंशन उत्पादों की कमी, लोगों के बीच जागरूकता का अभाव और सरकार व निजी क्षेत्र की तरफ से पर्याप्त ध्यान नहीं देने की वजह से अधिकांश प्राइवेट कर्मचारियों के पास पेंशन के लिए कोई सुविधा...
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सरकार ने दी सफाई: देश में नहीं है फर्टिलाइजर की कमी, जारी रहेगी सब्सिडी
नई दिल्ली। रबी की लहलहाती फसलों के लिए कई राज्यों में किसानों को यूरिया की किल्ल्त का सामना करना पड़ रहा है। रबी सीजन में किसानों को पर्याप्त उर्वरक मुहैया कराने के केंद्र और राज्य सरकार के दावों के बावजूद पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश सहित देश के कई इलाकों में यूरिया के लिए मारमारी मची हुई है। हालात बेकाबू होते देख यूरिया के मुद्दे पर अब केंद्र सरकार भी...
More »क्या वाकई बहुरेंगे रेडियो के दिन- गोविन्द सिंह
यों तो बीते साल बहुत-सी बातें पहली बार हुईं, लेकिन मीडिया के क्षेत्र में जो सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात हुई, वह थी, रेडियो को मिली अप्रत्याशित तवज्जो। जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेडियो को अपने 'मन की बात' कहने के लिए चुना, उससे यह उम्मीद बंधी कि आने वाले दिनों में रेडियो के दिन बहुरेंगे। इंदिरा गांधी के बाद शायद मोदी ही ऐसे राजनेता हैं, जिसने रेडियो...
More »बीमा विदेशीकरण की बेचैनी क्यों- अरविन्द मोहन
संसद का सत्र खत्म होते ही कई मामलों में अध्यादेश लाना केंद्र सरकार की बेचैनी को तो बताता ही है, हम सबसे इस बात की मांग भी करता है कि हम जानें कि हमारी सरकार किन सवालों पर इतना बेचैन होकर काम कर रही है। हमने देखा है कि देश भर में धर्म के नाम पर संघ परिवार से जुड़े लोगों और संगठनों ने जिस तरह से हंगामा मचाना शुरूकिया...
More »विदेशी कंपनियां नहीं लाएंगी अच्छे दिन - डॉ. भरत झुनझुनवाला
वर्ष 2005 से 2010 के बीच देश की अर्थव्यवस्था 8.7 प्रतिशत की दर से बढ़ रही थी। अरबपतियों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही थी। फिर भी जनता में असंतोष था, जिसका परिणाम संप्रग सरकार को 2014 के चुनाव में झेलना पड़ा। मोदी सरकार के सामने 2015 की चुनौती विकास को आम जनता तक पहुंचाने की है। हमारी वर्तमान विकास दर 5 से 6 प्रतिशत के बीच है।...
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