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पानी में पैसा: 537 करोड़ की योजना, 100 करोड़ खर्च, नतीजा 0

टना: गरमी में पेय जल संकट से शहरवासियों को निजात दिलाने के लिए 2010 में 420 करोड़ रुपये की जलापूर्ति योजना बनी. योजना पूरी नहीं हुई. 2012 में योजना लागत बढ़ कर 537 करोड़ हो गयी. तीन वर्ष बाद भी स्थिति वैसी ही है. शहरवासी फिर इस बार गरमी में जल संकट से जूङोंगे. वजह निगम क्षेत्र की 14 बोरिंग ठप है और नयी जलापूर्ति योजना अधर में है. निगम...

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उदारीकरण में पिसती ग्रामीण अर्थव्यवस्था- सुषमा वर्मा

विश्व बैंक की प्रबंध निदेशक क्रिस्टीना लेगार्ड ने हाल ही में रहस्योद्घाटन किया है कि भारत के अरबपतियों की दौलत पिछले 15 बरस में बढ़कर 12 गुना हो गई है। गौरतलब है कि यह वही दौर है जब भारत में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत हुए चंद साल ही हुए थे। उदारीकरण के दो दशक बाद शहरी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के बीच का फासला लगातार बढ़ता ही नहीं जा रहा बल्कि...

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प्रतिष्ठा का प्रश्न बना भूमि अधिग्रहण विधेयक - परंजॉय गुहा

मोदी सरकार का भू-अधिग्रहण अध्यादेश 5 अप्रैल को समाप्त हो रहा है और सरकार ने पुन: अध्यादेश लाने का निर्णय किया है। यह एक बहुत बड़ा राजनीतिक जुआ है। चूंकि राजग के पास राज्यसभा में बहुमत नहीं है, इसलिए पूरी संभावना है कि जब यह अध्यादेश विधेयक की शक्ल में वहां जाएगा, तो निरस्त हो जाएगा। ऐसे में सरकार के पास संसद का संयुक्त सत्र बुलाने के सिवा कोई और...

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चीनी मिल की हेराफेरी से उड़े किसानों के होश

उत्तम शुगर मिल प्रबंधन ने किसानों को गन्ना मूल्य भुगतान करने का नया तरीका अपनाया है। मिल ने किसानों की जमीनों को बैंक में गिरवी रखना शुरू कर दिया है। आर्थिक रूप से कमजोर किसानों से कृषि फार्म फरवाया जा रहा है। जिसके आधार पर किसान की जमीन बैंक में गिरवी रखी जा रही है। इस जमीन पर मिला हुआ ऋण किसान को गन्ना भुगतान के रूप में दिया जा रहा...

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विकास की जिम्मेदारी राज्यों की- एम के वेणु

राजग सरकार ने 'सहकारी संघवाद' की अपनी धारणा के तहत, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बेहद प्रिय है, केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय बंटवारे के पैटर्न को बुनियादी तौर पर बदलना चाहा है। उदाहरण के तौर पर, वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा पेश बजट में स्वास्थ्य, बाल विकास, शिक्षा, ग्रामीण पेयजल, आवास जैसे महत्वपूर्ण विकास कार्यक्रमों के मद में दी जाने वाली केंद्रीय सहायता में करीब 75,000 करोड़ रुपये...

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