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फिर स्वाइन फ्लू

जनसत्ता(संपादकीय)पिछले कुछ दिनों में दिल्ली में स्वाइन फ्लू से पांच लोगों की मौत हो चुकी है। समझा जा सकता है कि समय पर एहतियाती इंतजाम नहीं करने के क्या नतीजे हो सकते हैं। पिछले चार-पांच सालों में स्वाइन फ्लू एक गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है और इस बीमारी के उभरने के मौसम और बचाव के उपाय आदि को लेकर भी काफी हद तक तथ्य साफ हो चुके हैं।...

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खुद को मिलने वाली पेंशन से पर्यावरण की सेवा को बनाया मिशन

युवराज गुप्ता, बुरहानपुर। बचपन से प्रकृति व पक्षियों के प्रति रहे लगाव को उन्होंने मिशन में बदल दिया। सरकारी सेवा में बड़े पद से सेवानिवृत्ति के बाद पर्यावरण की सुरक्षा ही उनका एकमात्र ध्येय है। नईदिल्ली से राज्यसभा के रिपोर्टिंग डिपार्टमेंट के पूर्व निदेशक 63 वर्षीय आरसी विरवानी ने तीन सालों में देश के विभिन्न् राज्यों में पर्यावरण सुधार एवं जनसेवा से जुड़े कई कार्य किए। इन कार्यों में अब तक...

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घर छोड़ने को मजबूर क्यों अन्‍नदाता? - देविंदर शर्मा

कृषि के संदर्भ में राष्ट्रीय नमूना सर्वे संगठन (एनएसएसओ) की हालिया रिपोर्ट साफ तौर पर बताती है कि कृषि न केवल संकट के दौर से गुजर रही है, बल्कि उसका तेजी से क्षरण भी हो रहा है। मैं चकित नहीं हूं। आखिरकार 1996 में ही विश्व बैंक ने भारतीय कृषि के पतन की दिशा बता दी थी। तब विश्व बैंक ने अनुमान लगाया था कि अगले बीस वर्षों में भारत...

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कठिन चुनौतियां और नीति आयोग- वाई के अलघ

अरविंद पनगढ़िया को उपाध्यक्ष मनोनीत किए जाने के साथ ही नीति आयोग (नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिग इंडिया) को लेकर जारी कई अटकलों को विराम मिल गया है, लेकिन इस आयोग को लेकर कई उत्सुकताएं अब भी लोगों के दिमाग में बनी हुई हैं। दरअसल, केंद्र में आई नई सरकार ने 24 अगस्त को 20 विशेषज्ञों को बुलाकर उनसे यह सवाल पूछा था कि मौजूदा योजना आयोग...

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बीमा विदेशीकरण की बेचैनी क्यों- अरविन्द मोहन

संसद का सत्र खत्म होते ही कई मामलों में अध्यादेश लाना केंद्र सरकार की बेचैनी को तो बताता ही है, हम सबसे इस बात की मांग भी करता है कि हम जानें कि हमारी सरकार किन सवालों पर इतना बेचैन होकर काम कर रही है। हमने देखा है कि देश भर में धर्म के नाम पर संघ परिवार से जुड़े लोगों और संगठनों ने जिस तरह से हंगामा मचाना शुरूकिया...

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