SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 2118

राजस्थान में 'म' से मोदी पढ़ाने की तैयारी

जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान सरकार सरकारी स्कूलों के पाठ्यक्रम में भाजपा के पीएम पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी का जीवन परिचय शामिल करने पर विचार कर रही है। जून में होने वाले विधानसभा के बजट सत्र के दौरान यह घोषणा हो सकती है। शिक्षामंत्री कालीचरण सर्राफ ने इस मामले में रिपोर्ट देने के लिए एक टीम गठित की है। जानकारी के मुताबिक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कुछ...

More »

विकास मॉडलों के शोर में गुम मजदूर- रौशन किशोर/जीको दासगु्प्ता

चुनावी बहस-मुबाहिसों में विकास की चर्चा तो खूब है, लेकिन इस विकास का आधार और देश की आबादी का सबसे बड़ा हिस्सा मजदूर कहीं प्रमुख मुद्दा नहीं है. घोषणापत्रों में श्रमिकों के मसलों को शामिल तो किया गया है, लेकिन उनके लिए कोई ठोस कार्ययोजना नहीं है. देश में मजदूर वर्ग निरंतर शोषण और दमन का शिकार बनता रहा है. ‘मई दिवस’ के मौके पर मजदूरों से जुड़े मसलों को रेखांकित...

More »

मजदूर नहीं ले पा रहे हैं योजनाओं का लाभ

झारखंड और बिहार में बड़ी संख्या में बीड़ी मजदूर हैं, जो पीढ़ीयों से इस पेशे में लगे हैं. इन मजदूरों के कल्याण के लिए श्रम कल्याण निधि बनायी गयी है. इस निधि से इन मजदूरों को आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं दी जानी हैं.  इसके लिए बीड़ी कामगार कल्याण निधि अधिनियम, 1976 भी है और केंद्र सरकार की कई योजनाएं भी, लेकिन बिहार और झारखंड के सभी बीड़ी मजदूरों को इनका...

More »

किसान आत्महत्या- पुरानी पहेली का नया समाधान

प्रति व्यक्ति आय, सार्वजनिक स्वास्थ्य और शिक्षा के मामले में देश का म़ॉडल राज्य कहलाने वाले केरल में पुरुषों की आत्महत्या दर विश्व में सर्वाधिक (66.3) है जबकि बीमारु राज्यों में शुमार बिहार में पुरुषों की आत्महत्या दर सबसे कम (6.3)।  यह विरोधाभास क्यों ? ग्रामीण-संकट के अध्येताओं को लंबे समय से परेशान करने वाली इस पहेली का एक क्या उत्तर मिलता है प्रतिष्ठित लैंसेट जर्नल में प्रकाशित जॉनथन कनेडी और लारेंस किंग के एक अध्ययन...

More »

खेती-किसानी के मुद्दे गायब हैं चुनाव से- महक सिंह

चुनाव के दौरान सांप्रदायिकता, क्षेत्रवाद और व्यक्तिवाद की बातें की जा रही हैं, पर गांव, खेती और 54 प्रतिशत जनता के मुद्दे गौण हैं। कृषि क्षेत्र में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी), पूंजी निर्माण और कृषि निर्यात लगातार घटते जा रहे हैं। 1950-51 में जीडीपी में कृषि की भागीदारी 53.1 प्रतिशत थी, जो 2012-13 में घटकर 13.7 प्रतिशत रह गई। गांव-शहर तथा किसान-गैर किसान के बीच खाई बढ़ती जा रही है।...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close