एक महीने में उत्तर प्रदेश जैसे बडे़ राज्य में दो पुलिसकर्मियों की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या भारतीय समाज में बढ़ रही हिंसा की प्रवृत्ति का द्योतक तो है ही, इसके पीछे कहीं न कहीं तंत्र की वह विफलता भी छिपी है, जो आधुनिक जरूरतों पर खरा उतरने में समर्थ पुलिस बल नहीं गढ़ पा रही। 20 से 25 वर्ष की आयु में समाज के विभिन्न तबकों से आने वाले...
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राजस्थान: बैंगन की फसल बर्बाद होने पर किसान ने की आत्महत्या
जयपुर: राजस्थान के राजसमंद जिले के कांकरोली पीपली आचार्यान गांव में एक किसान ने कथित रूप से फसल बर्बाद होने की वजह से आत्महत्या कर ली. यह घटना बीते रविवार यानि कि 30 दिसंबर की है. परिजनों ने बताया कि ज्यादा ठंड पड़ने की वजह से फसल बर्बाद हो गई थी और इसी वजह से 48 वर्षीय किसान ने खुदकुशी कर ली. राज्य में कांग्रेस की नई सरकार बनने के बाद...
More »सक्रिय अदालत के बेमिसाल फैसले-- कमलेश जैन
इस साल अदालतों की सक्रियता खूब दिखी। ऐसे कई फैसले आए, जो ऐतिहासिक साबित हुए। इन फैसलों से यह खासतौर से लगा कि न्यायालय महिलाओं को बराबरी का अधिकार दिलाने और समाज में फैली असमानता को दूर करने को लेकर काफी गंभीर है। हालांकि उसकी यह गंभीरता पहले भी कई बार दिखी है। जैसे, शीर्ष अदालत ने ही बलात्कार के मामलों में पीड़िता को दोषी मानने वाले प्रावधान खत्म...
More »वित्तीय घाटे के मोर्चे पर मोदी सरकार को झटका, अप्रैल-नवंबर में बजट लक्ष्य का हुआ 115%
चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-नवंबर अवधि में देश का राजकोषीय घाटा (फिस्कल डेफिसिट) 7.17 लाख करोड़ रुपये दर्ज किया गया. यह पूरे साल के बजटीय लक्ष्य का 114.8 फीसदी हो गया है. इसका मुख्य कारण रेवेन्यु की ग्रोथ रेट कम होना है. राजकोषीय घाटा सरकार के रेवेन्यु और खर्च के बीच का अंतर होता है. बजट में पूरे साल में कुल 6.24 लाख करोड़ रुपये के वित्तीय घाटे का लक्ष्य रखा...
More »लैंगिक भेदभाव के खिलाफ खड़ा साल--
साल 2018 भारत की महिलाओं के लिए मील का पत्थर साबित हुआ। अधिकारों के नजरिए से देखें, तो उन्होंने फिर से अपना सही मुकाम हासिल किया। यह वर्ष देश की शीर्ष अदालत द्वारा महिलाओं के पक्ष में ऐतिहासिक फैसले सुनाने का भी गवाह बना। सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 को रद्द किया, महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में पूजा-अर्चना के सांविधानिक अधिकार दिए, ‘तीन तलाक' खत्म किया, एडल्टरी यानी व्यभिचार को...
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