शराब कारोबारी पोंटी चड्ढा की गाजियाबाद स्थित परियोजना वेव सिटी अपनी शुरुआत से ही नियम-कायदों की भयानक अनदेखी और किसानों के दमन का उदाहरण रही है.जयप्रकाश त्रिपाठी की रिपोर्ट बताती है कि किस तरह उत्तर प्रदेश में अलग-अलग समय पर रही सरकारों ने इस परियोजना के प्रति खास दरियादिली दिखाई किस्तों में कत्ल हुआ मेरा, कभी खंजर बदल गए, कभी कातिल बदल गए... कुछ ऐसी ही पीड़ा है गाजियाबाद से सटे नायफल...
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नदी जोड़ो परियोजना पर फिर से बहस तेज
जरूरी है जल प्रबंधन नदियों को जोड़ने की महत्वाकांक्षी योजना पर बेशक कुछ सवाल उठे हों, लेकिन बदलते समय में इसकी महत्ता से इनकार नहीं किया जा सकता। पानी का सवाल इतना बड़ा है कि किसी बड़े कदम से ही समाधान की तरफ बढ़ा जा सकता है। बहुत बारीक तथ्यों और तमाम पहलुओं पर निष्कर्ष के बाद करीब दस वर्ष पहले जो रिपोर्ट तैयार हुई थी, उससे हम उम्मीद कर सकते...
More »दलितों का दर्द- श्योराजसिंह बेचैन
उत्तर प्रदेश में दलित उत्पीड़न की घटनाएं चर्चा का विषय हैं। बहन मायावती के मुख्यमंत्री काल में इन घटनाओं का होना ज्यादा चिंताजनक है। राहुल गांधी का कहना है कि कांग्रेस के सत्ता में आने पर दलित समस्या का समाधान हो जाएगा। सपा और भाजपा भी दलित समुदाय की बेहतरी के लिए अपनी-अपनी पार्टी का सत्ता में आना जरूरी बता रहे हैं। पर जनता क्या करे? इनमें से कौन-सी पार्टी...
More »सत्ता में दलित- श्योराज सिंह बेचैन
Dalits pain मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में जब जातियों के आधार पर राजनीतिक गोलबंदी तेज हो गई है, सही मायने में कांशीराम ही अकेले ऐसे नेता थे जिन्होंने व्यवस्था बदलने के लिए जाति के समाप्त होने का इंतजार नहीं किया था। उन्होंने जातियों, उप-जातियों में सहअस्तित्व और आत्मसम्मान की भावना जगाकर उन्हें सत्ता में हिस्सेदारी की महत्वाकांक्षा के साथ संगठित किया। समकालीन राजनीति में उनके इस योगदान ने न केवल हाशिये पर...
More »चार साल बाद भी नहीं बनी पेयजल योजना
कर्णप्रयाग, जागरण कार्यालय : गर्मियां आने को है, लेकिन विकासखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में बन रही पेयजल योजनाओं की रफ्तार धीमी है। कुछ ऐसा ही हाल बणगांव एकल पेयजल योजना का है। चार से योजना पर काम चल रहा है, लेकिन आज तक पूरा नहीं हो सका है। ग्रामीणों की मांग पर वर्ष 2006-07 में 37.41 लाख रुपये की लागत से बणगांव एकल पेयजल योजना को स्वीकृति मिली थी। इस पर जल...
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