बीती सदी के नब्बे के दशक में जब जर्जर भारतीय अर्थव्यवस्था को तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिंहराव के वित्त मंत्री ने अमरबूटी पिलाई थी, तो किसी को एहसास भी नहीं था कि यह दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शुमार हो जाएगी। विदेशों में बने टीवी, फ्रिज को देखकर ललचाते हुए मध्यवर्ग ने सोचा भी नहीं था कि भारत ऐसे सामान के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक बन जाएगा। यह...
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कहीं दाल, प्याज न बिगाड़ दे महंगाई की गणित
नई दिल्ली। थोक मूल्यों पर आधारित महंगाई की दर लगातार सातवें महीने शून्य से नीचे रही है। मई, 2015 में यह शून्य से 2.34 फीसद नीचे रही। लेकिन, जिस तरह से दालों और प्याज की कीमतों में तेजी का रुख बना हुआ है वह सरकार के लिए चिंता का कारण है। इसके बावजूद जानकारों का कहना है कि आने वाले दिनों में थोक महंगाई की स्थिति में कोई बहुत बड़ी...
More »देश के वे तीन 'करोड़पति' गांव, जिनके बैंकों में जमा हैं 9000 करोड़ रुपए
गांव का नाम सुनते ही किसानों, चौपालों, खेतों आदि की छवि मन में उभरने लगती है। सुविधाओं के लिए जूझते गांवों की तस्वीर भी सामने आती है। लेकिन हम जिन तीन गांवों की बात कर रहे हैं वे गांव एनआरआई के गांव हैं, जहां के परिवारों के पास पैसों की कोई कमी नहीं है। हालत ये है कि भुज से लगभग 15 किलोमीटर दूर बालाडिया गांव में कुल 1292 परिवार हैं...
More »मई में खुदरा के बाद थोक महंगाई दर भी बढ़ी
नयी दिल्ली : मई महीनें में खुदरा महंगाई दर के बाद थोक महंगाई दर में भी वृद्धि दर्ज की गयी है. थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति मई माह में उससे पिछले महीने के मुकाबले थोडी चढ कर शून्य से 2.36 अंक पर आ गयी. अप्रैल में यह शून्य से 2.65 अंक नीचे थी. गौरतलब है कि पिछले साल की तुलना में खास कर ईंधन, खाद्यों तथा विनिर्मित उत्पादों की...
More »एक इम्तिहान है मैगी का मामला - जगमोहन सिंह राजपूत
दो मिनट में बनकर तैयार हो जाने वाली मैगी ने सारे भारत को हिला दिया है। इसे यूं भी कहा जा सकता है कि इस बार तो स्वाद पूरी तरह बेमजा हो गया। नेस्ले के नूडल्स घर-घर ही नहीं, अब तो गांवों तक अपनी पहुंच बना चुके थे। वे लोग जो चाहते हैं कि सारी दुनिया में एक भाषा, एक पहनावा, एक खाना ही चले, मैगी जैसे प्रचलन को अपनी...
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