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कोविड-19 संकट के कारण भारत में 41 लाख युवाओं का रोज़गार छिना: रिपोर्ट

-द वायर,  देश में कोविड-19 महामारी के कारण 41 लाख युवाओं को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है. इसमें निर्माण और कृषि क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारी सर्वाधिक प्रभावित हुए. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) की संयुक्त रिपोर्ट में यह कहा गया है. ‘एशिया और प्रशांत क्षेत्र में कोविड-19 युवा रोजगार संकट से निपटना’ शीर्षक से आईएलओ-एडीबी की मंगलवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया, ‘एक अनुमान के...

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भारत बीते 50 सालों की सबसे भयावह मानवीय त्रासदी के दौर में प्रवेश कर चुका है

-द वायर, भारत का गरीब और मजदूर वर्ग अब अख़बार के भीतरी पन्नों और टीवी स्क्रीन से गायब हो गया है. ऐसा दिखाने की कोशिश हो रही है कि जब देश में सारी व्यवस्थाएं धीरे-धीरे खुलने लगी हैं और अधिकतर प्रवासी मजदूर अपने गांव लौट गए हैं, तब भूख और रोजी-रोटी की समस्या खत्म हो गई है. जबकि सच्चाई इसके बिल्कुल विपरीत है. सच तो सिर्फ इतना है कि अचानक से थोपे गए...

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ईआईए अधिसूचना का मसौदा किस प्रकार से आदिवासियों और वनवासी समुदायों के अधिकारों से समझौता करना है

-न्यूजक्लिक, जहां एक ओर पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना, 2020 के मसौदा दस्तावेज की आलोचना व्यापार को आसान बनाने के लिए पर्यावरणीय मानदंडों को खत्म करने की कोशिशों की खातिर की जा रही है, वहीं इन नए प्रावधानों के चलते समाज के कुछ तबकों को इसका सबसे अधिक खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। और वे तबके हैं जंगली इलाकों में रहने वाले अनुसूचित जनजाति और अन्य पारम्परिक वनवासी समुदाय के लोग। नई अधिसूचना...

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फडणवीस सरकार पर तमिलनाडु के राज्यपाल के शिक्षा ट्रस्ट को जमीन का अवैध पट्टा देने का आरोप

-द कारवां, अधिवक्ता सतीश उइके ने एक आपराधिक शिकायत दर्ज कर नागपुर के खापरखेड़ा गांव में दस एकड़ जमीन के भूराजस्व रिकॉर्ड से छेड़छाड़ का आरोप लगाया है. यह भूमि महाराष्ट्र के दिग्गज नेता बनवारीलाल पुरोहित से जुड़े एक ट्रस्ट को पट्टे पर दी गई है. महाराष्ट्र राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी लिमिटेड (महागेंको) ने यह जमीन शिक्षा क्षेत्र में कार्यरत ट्रस्ट, भारतीय विद्या भवन, को नवंबर 2015 में पट्टे पर दी...

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पहाड़ को जल संकट से उबारने में जुटे चंदन

-वाटर पोर्टल, उत्तराखंड़ का भौगोलिक और पौराणिक महत्व किसी भी अन्य क्षेत्र की अपेक्षा कईं ज्यादा अलौकिक और वृहद है। उत्तराखंड़ के संदर्भ में कहा जाता है कि ‘पहाड़ की जवानी पहाड़ के किसी काम नहीं आती। वो तो रोजगार की तलाश में मैदानों में चली जाती है। पहाड़ों पर तो बचते हैं, बूढ़े मां-बाप और बच्चे।’ जो लोग बचे हैं, वें चौड़ी पत्ती वाले जंगलों के कम होने से हर साल जल...

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