वैश्वीकरण के दौर में देश और राष्ट्र जैसे शब्द पुराने पड़ते जा रहे हैं। अंग्रेजी का कंट्री शब्द गंवई क्षेत्र की ओर संकेत करता है। नेशन एक अमूर्त विचार है, जिसका स्वरूप उसके मानने वालों के अपने नजरिए पर ही निर्भर करता है। यह भी एक प्रचलित मत है कि नेशनलिज्म का कोई एक अर्थ नहीं होता, वह एक बहुलार्थी शब्द है जिसका उपयोग किसी भी ढंग से किया जा...
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युवा, लाभांश और देश का भविष्य- संदीप मानुधने
देश में कहीं भी जाइये, चारों ओर अगर चुनौतियों के अलावा कोई और चीज साफ नजर आयेगी, तो वह है युवा! हर युवा की आंखों में एक चमक है- कोई अपना स्टार्टअप करके देश बदलने का स्वप्न देख रहा है (आखिर इस साल की ताजतरीन मिठाई जो ठहरी!), कोई विदेश जाने का (इतनी अच्छी लाइफ यहां कैसे मिलेगी!), तो कोई आइएएस बन कर प्रशासनिक क्रांति लाने का सपना देख रहा...
More »स्वास्थ्य शिक्षा और वैकल्पिक चिकित्सा- ऋतु सारस्वत
संविधान का अनुच्छेद इक्कीस जीने का अधिकार ही नहीं देता, बल्कि सम्मान से पूर्ण स्वस्थता के साथ जीने का अधिकार देता है। पर हमारा यह अधिकार कितना सुरक्षित है? विश्व जनसंख्या में साढ़े सोलह प्रतिशत की भागीदारी निभाने वाले भारत की विश्व की बीमारियों में हिस्सेदारी बीस प्रतिशत है। भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य-व्यवस्था और स्वास्थ्य शिक्षा की आवश्यकता और प्रचलन की पहचान प्राचीन है। भारत में औपचारिक तौर पर स्वास्थ्य...
More »रोजगार बढ़ाने की बड़ी चुनौती-- भरत झुनझुनवाला
आगामी बजट में रोजगार सृजन को प्रोत्साहन देने पर विचार हो रहा है। जिन उद्योगों द्वारा नए रोजगार सृजित किए जाएंगे, उन्हें आयकर में छूट दी जाएगी। यह खुशी की बात है। फिर भी सावधानी बरतने की जरूरत है अन्यथा रोजगार उत्पन्न् नहीं होंगे और उद्यमियों द्वारा इनकम टैक्स की छूट का दुरुपयोग कर लिया जाएगा। मान लीजिए एक उद्योग है जिसमें 1000 श्रमिक कार्यरत हैं। उद्योग द्वारा 10 करोड़...
More »कैसा हो हरदिल अजीज बजट- सुषमा रामचंद्रन
आगामी आम बजट सरकार के लिए बहुत खास है। उसकी दशा-दिशा के लिए यह बेहद मायने रखता है। वैसे तो हर आम बजट देश के वित्त मंत्री के लिए एक चुनौती होता है और सभी को खुश करना भी आसान नहीं, लेकिन अरुण जेटली के लिए एनडीए सरकार का यह तीसरा बजट इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि कई अर्थों में सरकार का राजनीतिक भविष्य इस बजट पर निर्भर करेगा। मोदी सरकार बड़े...
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