पेरिस में जलवायु सम्मेलन के दौरान ही चेन्न्ई में बारिश से मची तबाही के कारण आम लोगों के लिए भी जलवायु परिवर्तन और अधिक चिंता का विषय बन गया है। चेन्न्ई के संकट ने यह स्पष्ट किया कि जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली समस्याएं सिर उठा चुकी हैं और उनका सामना करने के अलावा और कोई उपाय नहीं। पेरिस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत का पक्ष मजबूती...
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कैबिनेट का फैसला: सूखाग्रस्त घोषित हुआ पूरा झारखंड
रांची: झारखंड सरकार ने पूरे राज्य को सूखाग्रस्त घोषित कर दिया है़ इसके लिए फसल को हुए नुकसान और अनावृष्टि को आधार बनाया है. मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इसका फैसला लिया गया़ कैबिनेट ने राज्य में सूखे से संबंधित रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजने और केंद्रीय दल से स्थिति का आकलन कराने का अनुरोध करने का फैसला किया है. राज्य सरकार केंद्र से नेशनल...
More »कीमतें कम हों या ज्यादा नुकसान हमेशा किसान का-- अमित मोहन प्रसाद
हाल ही में अरहर की दाल की कीमतें 200 रुपए प्रति किलो तक जा पहुंचीं। उपभोक्ताओं के अलावा सरकार को भी नहीं समझ आया कि वे क्या करें। बहुत पुरानी बात नहीं है, जब प्याज की ऊंची कीमतों ने आम लोगों के आंसू निकाल दिए थे। इन दोनों ही मामलों में बिचौलियों और दुकानदारों ने जमकर मुनाफा कमाया। लेकिन किसी ने सोचा कि किसानों को क्या फायदा मिला? दाल और...
More »जलवायु संकट के सबक-- अरुण तिवारी
पिछले ग्यारह हजार तीन सौ सालों की तुलना में आज पृथ्वी सबसे गर्म है। उत्तरी ध्रुव के आर्कटिक सागर में इस बार 1970 के बाद सबसे कम बर्फ जमी है। उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव से बाहर दुनिया का सबसे बड़ा बर्फ भंडार, तिब्बत में ही है। इसी नाते तिब्बत को ‘दुनिया की छत' कहा जाता है। इस नाते आप तिब्बत को दुनिया का तीसरा ध्रुव भी कह सकते हैं। यह...
More »फ़सल बंपर, लेकिन किसान क्यों दे रहे जान?-- जुबैर अहमद
18 वर्षीय लवप्रीत सिंह का जीवन सामान्य तरीके से गुज़र रहा था. लेकिन पिछले महीने उनकी ज़िन्दगी में तब उथल-पुथल आई जब उनके पिता, 42 वर्षीय किसान बलविंदर सिंह, ने आत्महत्या कर ली. अमृतसर के निकट एक छोटे से गांव में अब वह अपनी मां और दादी के साथ रहते हैं और अकेली संतान होने के नाते परिवार की सारी ज़िम्मेदारियां उनके युवा कधों पर आ गई हैं. धान के दाम तेज़ी...
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